नई दिल्ली। बड़ी चित्रात्मक चेतावनी छापने के विरोध में देश भर में बीड़ी बनाने वाली इकाइयां भी सिगरेट कंपनियों के साथ आ गई हैं और उत्पादन बंद करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि पैकेटों के 85 फीसदी हिस्से पर चेतावनी वाला चित्र प्रकाशित करना संभव नहीं है, जो नए सरकारी नियम के तहत जरूरी है। अखिल भारतीय बीड़ी उद्योग परिसंघ (एआईबीआईएफ) ने कहा कि उत्पादन रूकने से करीब 200 करोड़ रुपए रोजाना नुकसान होगा। परिसंघ में 240 बीड़ी विनिर्माता शामिल हैं। इनका कुल ब्रांडेड बीड़ी उत्पादन में दो तिहाई हिस्से पर नियंत्रण है। वहीं, एफएमसीजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईटीसी ने कहा कि सरकार के पैकेट पर बड़ी चित्रात्मक चेतावनी जारी करने के आदेश के मद्देनजर विनिर्माण बंद करने के बावजूद बाजार में सिगरेट का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।
बिड़ी उत्पादकों ने किया सिगरेट इंडस्ट्री का समर्थन
एआईबीआईएफ के सदस्य अर्जुन खन्ना ने कहा, हम इस मामले में सिगरेट उद्योग का समर्थन कर रहे हैं। बीड़ी उत्पादन रूकने का मतलब है कि इससे 200 करोड़ रुपए रोजाना का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि हम नुकसान उठाने को तैयार हैं लेकिन सरकार का आदेश नहीं माना जा सकता। खन्ना ने कहा कि सरकार ने 85 फीसदी हिस्से पर चेतावनी वाली तस्वीर छापने का आदेश दिया है जो वास्तव में संभव नहीं है।
उत्पादन बंद होने पर भी सिगरेट का पर्याप्त भंडार उपलब्ध
आईटीसी के प्रवक्ता ने कहा, बाजार में पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। कंपनी ने दो अप्रैल कहा था कि वह अपने सिगरेट के पैकेट पर बड़ी चित्रात्मक चेतावनी छापने के लिए तैयार नहीं है और जब तक इस मामले में स्पष्टता नहीं आती उसकी फैक्ट्रियां बंद रहेंगी। आईटीसी ने कहा कि यह नियम 31 प्रतिशत की औसत वैश्विक चेतावनी से अधिक है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, भारत में चेतावनी का आकार टॉप पांच तंबाकू उत्पादक देशों – चीन, ब्राजील, अमेरिका, मालावी और जिम्बाब्वे के मुकाबले 20 फीसदी अधिक है।