नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को नई संशोधित विशेष प्रोत्साहन राहत योजना (MSIPS) के तहत सब्सिडी लाभ पाने के बाद कम से कम तीन साल तक भारत में कारोबार करने की प्रतिबद्धता जतानी होगी। योजना के तहत ऐसे मामलों में भी सब्सिडी के लाभ मान्य नहीं होंंगे जब मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को देश में कहीं और ले जाया गया हो। इस योेजना को दो-तीन सप्ताह में अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
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कंपनियों से प्रतिबद्धता चाहती है सरकार
- एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि नए MSIPS में सरकार प्रोत्साहन पाने की इच्छुक कंपनियों से प्रतिबद्धता चाहती हैं।
- उन्हें सरकार को यह गारंटी देनी होगी कि लाभ लेने के बाद वे कम से कम तीन साल तक भारत में बनी रहेंगी।
- देश में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए यह योजना जुलाई 2012 में शुरू की गई थी।
- योजना में प्रस्तावित बदलाव में पूंजीगत व्यय में निवेश पर भी सब्सिडी देने का प्रावधान है।
- सेज में निवेश पर यह 20 प्रतिशत होगा जबकि गैर-सेज में 25 प्रतिशत।
- इसमें गैर-सेज इकाइयों में पूंजीगत उपकरणों पर प्रतिपूर्ति शुल्क-उत्पाद के रीम्बर्समेंट का भी प्रावधान होगा।
- उच्च प्रौद्योगिकी तथा उच्च पूंजीगत निवेश वाली इकाइयों जैसे फैब आदि में केंद्रीय करों तथा शुल्कों को वापस करने का भी प्रावधान होगा।
इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी सचिव अरुणा सुंदरराजन ने इस प्रस्ताव का ब्योरा देने से इनकार कर दिया। लेकिन उन्होंने कहा कि कैबिनेट द्वारा अंतिम प्रस्ताव को दो-तीन सप्ताह में मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है।