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अमेरिका में वीजा नियमों की कड़ाई भारतीय कंपनियों के लिए बरदान, इससे आईटी फर्म की बढ़ेगी कमाई

मोहनदास पई का कहना है कि अमेरिका में एच1-बी वीजा के नियमों को कड़ा किया जाना, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी आईटी कंपनियों के लिए छुप हुआ वरदान है।

Dharmender Chaudhary
Published on: April 12, 2017 17:44 IST
अमेरिका में वीजा नियमों की कड़ाई भारतीय कंपनियों के लिए बरदान, इससे आईटी फर्म की बढ़ेगी कमाई- India TV Paisa
अमेरिका में वीजा नियमों की कड़ाई भारतीय कंपनियों के लिए बरदान, इससे आईटी फर्म की बढ़ेगी कमाई

हैदराबाद। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की वरिष्ठ हस्ती टी. वी. मोहनदास पई का कहना है कि अमेरिका में एच1-बी वीजा के नियमों को कड़ा किया जाना, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी आईटी कंपनियों के लिए छुप हुआ वरदान है। इससे भारतीय कंपनियां अपने काम का और अधिक हिस्सा विदेशों में स्थानांतरित कर सकेंगी। वहीं अपने काम के लिए बेहतर भुगतान वसूलने की भी स्थिति में होंगी।

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी पई ने कहा कि अभी वर्तमान में भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबारी मॉडल ऐसा है जिसमें 70 प्रतिशत काम विदेश में कार्यस्थल पर और 30 प्रतिशत देश में किया जाता है। अब यह अनुपात 90 प्रतिशत विदेश में और 10 प्रतिशत देश में हो जाएगा।

पई ने कहा कि इससे भारतीय कंपनियां अब अपना ज्यादा काम बाहर करेंगी और अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा पाएंगी। अब उन्हें केवल 10 प्रतिशत काम देश में और 90 प्रतिशत विदेशों में करने होंगे। उन्हौंने कहा कि इससे कारोबार का 70 से 80 प्रतिशत बड़े आसानी से पूरा हो जाएगा।

पई ने कहा कि एच1-बी के नए नियम भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बेहतर हैं और उन कंपनियों के लिए बुरे हैं जो सस्ता श्रम उपयोग करते हैं। सबसे पहली बात भारतीय आईटी कंपनियां सस्ता काम नहीं करती हैं क्योंकि वह अपने ग्राहकों से जो भुगतान लेती हैं वह एक ऑनसाइट कर्मचारी के हिसाब से प्रति वर्ष 1,25,000 डॉलर से 1,50,000 डॉलर तक होता है। वह सालाना औसत आधार पर 80,000-85,000 डॉलर प्रति वर्ष का भुगतान करती हैं।

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