नई दिल्ली। सबसे ज्यादा एक्टिव अमेरिकन हेज फंड्स टाइगर ग्लोबल भारतीय ऑनलाइन फैशन का एक प्रमुख स्टेकहोल्डर बन गया है। टाइगर ग्लोबल की स्थापना अरबपति चार्ल्स “चेस” कोलमैन (paywall) ने की और इसे फेसबुक व जिंगा जैसे स्टार्टअप्स की शुरुआत में निवेश के लिए जाना जाता है। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। डाटा क्यूरेटर Tracxn के मुताबिक, अन्य किसी इन्वेस्टर की तुलना में टाइगर ग्लोबल ने सबसे ज्यादा भारतीय ऑनलाइन फैशन रिटेल कंपनियों में निवेश किया है।
26 जुलाई को, मिंत्रा द्वारा अपने प्रतियोगी कंपनी जंबोग का 7 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण करने के बाद टाइगर ग्लोबल की पोजीशन और मजूबत हुई है। मिंत्रा टाइगर ग्लोबल के पोर्टफोलियों की ही एक कंपनी है और अब यह भारत में सबसे बड़ी ऑनलाइन फैशन रिटेलर बन गई है।
मिंत्रा और जबोंग के अतिरिक्त, टाइगर ग्लोबल ने भारतीय ऑनलाइन रिटेलर्स लाइमरोड (Limeroad), रोपोसो (Roposo), अर्बन टच (UrbanTouch) और जोवी डॉट कॉम (Zovi.com) में भी निवेश किया है। टाइगर ग्लोबल की फ्लिपकार्ट और शॉपक्लूज में भी हिस्सेदारी है, जो कि भारतीय ऑनलाइन फैशन में भी काम करती हैं।
फैशन पर दांव
इंडियन स्टार्टअप्स के बीच कैटेगरी के मामले में ऑनलाइन फैशन रिटेल सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें प्रवेश करना बहुत आसान है और यहां कपड़े, जूते और एसेसरीज की बिक्री पर प्रॉफिट भी बहुत ज्यादा है। डाटा क्यूरेटर कंपनी Xeler8 के मुताबिक भारत में तकरीबन 157 ऑनलाइन फैशन रिटेलर्स अब तक 39.82 करोड़ डॉलर की राशि जुटा चुके हैं।
Xeler8 के मुताबिक इस सेगमेंट के पांच सबसे ज्यादा फंडेड स्टार्टअप्स टाइगर ग्लोबल के पोर्टफोलियो में शामिल हैं:
भारत में पिछले दस सालों से टाइगर ग्लोबल सबसे ज्यादा एक्टिव स्टार्टअप इन्वेस्टर बना हुआ है और उसने कई सेक्टर में निवेश किया है, जिसमें कंज्यूमर इंटरनेट, ई-कॉमर्स, कंटेंट क्रिएशन और न्यूज शामिल हैं।
ग्लोबल फंडिंग की कमी के बीच, टाइगर ग्लोबल द्वारा भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश की रफ्तार भी धीमी हुई है, ऐसे में इसका भारतीय फैशन के साथ संबंध इसी प्रकार बना रहेगा इसको लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। वॉल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक, टाइगर ग्लोबल को 2016 के पहले तीन माह में अपने इन्वेस्टमेंट पर 1 अरब डॉलर का पेपर लॉस खा चुकी है। Xeler8 के फाउंडर ऋषभ लवानिया का कहना है कि पिछले साल टाइगर ग्लोबल भारत में जितना एक्टिव था उतना अभी नहीं है, ऐसे में जल्द ही इस इन्वेस्टर द्वारा और अधिक इन्वेस्टमेंट आने की उम्मीद भी कम ही दिखाई पड़ रही है।