नई दिल्ली। सरकार बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया में तेजी ला रही है। सूत्रों के हवाले से आई खबरों की माने तो सरकार ने 4 सरकारी बैंकों के निजीकरण की तैयारी कर ली है। खास बात ये है कि बजट में सरकार ने सिर्फ 2 बैंकों के निजीकरण की बात कही थी। सरकार चाहती है कि देश में निजीकरण और विलय के जरिए सरकारी बैंकों की संख्या सीमित की जाए जिससे वो अंतर्राष्ट्रीय बैंकों से मुकाबला कर सकें।
किन बैंकों के निजीकरण का है प्रस्ताव
मीडिया में आई खबरों की माने तो बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक के निजीकरण का ऐलान किया जा सकता है। इसके साथ ही बैंक ऑफ इंडिया के निजीकरण का ऐलान भी किया जा सकता है। फिलहाल इस बारे में सरकार की तरफ से कोई ऐलान नहीं किया गया है।
क्यों हो रहा है बैंकों का निजीकरण, विलय
सरकार के मुताबिक कई सरकारी बैंक एक ही प्रोडक्ट या क्षेत्र में आपस में ही मुकाबला कर रहे हैं, जबकि उनकी खुद की आर्थिक स्थिति कमजोर है। इसलिए विलय के जरिए वो अपनी वर्कफोर्स या रिसोर्सेज का ज्यादा बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे। वहीं दूसरी तरफ कुछ सरकारी बैंक आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे हैं , अगर उन्हें वित्तीय राहत नहीं मिली तो कर्मचारियों की सैलरी देना भी मुश्किल होगा। निजीकरण की वजह से निजी सेक्टर इन बैंक को जरूरी रकम मुहैया कराएगा। दूसरी तरफ सरकार को जरूरी रकम जुटाने में मदद मिलेगी।
क्या होगा निजीकरण का आप पर असर
बैंकों के विलय या निजीकरण का खाता धारकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, सिवाय इसके की उनके बैंक के नाम और उससे जुड़े आईएफएससी कोड में परिवर्तन हो जाए। बैंक में जमा ग्राहकों का पैसा पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। हालांकि निजीकरण में बैंक में मेजोरिटी हिस्सेदारी खरीदने वाला मिनिमम बैलेंस, ब्याज दरों आदि पर नए नियम लागू कर सकता है। हालांकि कई निजी बैंक बचत या एफडी पर सरकारी बैंकों से बेहतर ब्याज दर ऑफर करते हैं। ऐसे में निजीकरण से ग्राहकों को फायदा मिलने की भी संभावना बनी हुई है।
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क्या है विनिवेश का लक्ष्य
मोदी सरकार ने 2021 में विनिवेश का लक्ष्य कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये तय किया है। इसके लिए सरकार कंपनियों में हिस्सा बिक्री से लेकर निजीकरण तक की रणनीति पर काम कर रही। इस साल एलआईसी की लिस्टिंग से लेकर एयर इंडिया, बीपीसीएल की बिक्री का लक्ष्य लेकर चल रही है।