डी के मिश्रा, नई दिल्ली। पीएनबी में हुआ 11,400 करोड़ रुपए का घोटाला निःसन्देह कई गलतियों या चूकों के परिणामस्वरूप हुआ है। ये हैं वह पांच गलतियां जिसकी वजह से इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। पहली चूक इस बैंक में कमज़ोर संचालन व्यवस्था का है। कार्य का बंटवारा और उससे जुड़े दायित्व का सुचारू न होना, उचित निरीक्षण की कमी व सतर्कता विभाग की घोर लापरवाही या संभावित मिलीभगत ये सब कारण हो सकते है। बैंकों में लेनदेन "मेकर एंड चेकर्स' व्यवस्था पर होता है यानी कि लेनदेन का ब्यौरा एक अधिकारी बनायेगा तो दूसरा उसे जांचेगा और तीसरा उसे अनुमोदित करेगा।
इसके बाद भी एक सतर्कता विभाग का अधिकारी इनके कार्यविधि पर नज़र रखता हैं। बैंक का इंटरनल ऑडिट नियमित रूप से रक्षक की भूमिका अदा करता है। बैंक द्वारा किए हर लेनदेन 'सीबीएस' प्रणाली पर दर्ज़ होने चाहिए और स्विफ़्ट द्वारा लेनदेन इतने वर्षों से उस प्रणाली पर न आना बड़ी चूक है। स्विफ़्ट के द्वारा अंतरराष्ट्रीय लेनदेन बहुत बड़े पैमाने पर होते है और ये लेनदेन प्रायः बड़े धनराशी के होते है। जोखिम की संभावनाओं की वजह से बैंक हमेशा इस मामले में अतिरिक्त सतर्कता रखतें है। बिना पर्याप्त मार्जिन के एलओयू को बैंक अधिकारी स्विफ़्ट के माध्यम से लगातार 6 वर्षो से भेजते रहे और किसी को भनक न लगी हो, ये अविश्वसनीय लगता है और बिना मिलीभगत के संभव नहीं हो सकता।
आरबीआई की चूक
टेक्नोलॉजी के इस युग मे इस बात पर हैरानी है कि स्विफ़्ट द्वारा लेनदेन को इतने वर्षों तक कोर बैंकिंग या सीबीएस का हिस्सा क्यों नहीं बनाया गया। जबकि ज़्यादातर निजी बैंक सारे कारोबार (स्विफ़्ट द्वारा लेनदेन भी) टेक्नोलॉजी के द्वारा करते है और सारे लेनदेन रियल टाइम रिपोर्ट होते हैं।
इसके अलावा आरबीआई की एक्सपर्ट इंस्पेक्शन टीम समय-समय पर इस बैंक के लेनदेन और कार्यप्रणाली की गहन जांच किए होंगे जो 6 वर्षों में कई बार हुआ होगा, उन्हें भी इतने बड़े घोटाले की भनक नहीं लगी, एक भारी चूक हो गई।
ऑडिटर्स की चूक
बैंक के कारोबार पर आरबीआई के निगरानी के अलावा, 5 प्रकार के ऑडिट से निगरानी होती है। हालांकि, लगातार 6 वर्षों में कोई भी ऑडिट इस घोटाला को पकड़ने में चूक गया। ऐसे होती है बैंकों के कारोबार की निगरानी।
- बैंक का क्रेडिट ऑडिट
- बैंक का आंतरिक ऑडिट
- कॉनकरंट ऑडिट
- स्टॉक ऑडिट
- एक्सटर्नल स्टेट्यूटरी ऑडिट
जिन बैंको ने पीएनबी के एलओयू के आधार पर कर्ज़ दिया, उनसे भी हुई चूक
पिछले 6 वर्षों से लगातर अनियमित लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के आधार पर कर्ज़ देने में शामिल अन्य बैंक जैसे स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, एक्सिस बैंक आदि इस तरह के दस्तावेजों, जो बड़ी राशि हाने के साथ ज्यादा समय के लिए जारी थे, एक ही समूह की कंपनियों और शेल कंपनियों के लिए था। उसका सत्यापन या दोहरा चेकअप नहीँ किया जबकि इनकी मियाद बढ़ाने की भी बात सामने आईं है। एक भारी चूक प्रतीत होती है।
जांच तंत्रों द्वारा चूक
पिछ्ले कुछ वर्षों से नीरव मोदी व मेहुल चोकसी से जुड़ीं कंपनियों में संदेहास्पद लेनदेन का एलर्ट जारी होने के बाद भी मामले पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट्स को नजरअंदाज किया गया, आयकर विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यहां भी एक भारी चूक लगती है।
- लेखक अर्थशास्त्री और चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।