इतनी सस्ती दर पर कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री इस बात का पक्का सबूत है कि दुनिया की सबसे बड़ी कोल्ड ड्रिंक निर्माता कंपनी कोका-कोला का फोकस भारत के ग्रामीण बाजार पर कब्जा जमाने पर है। कंपनी यह अच्छी तरह जानती है कि भारत की कुल जनसंख्या का 67 फीसदी हिस्सा गांवों में ही रहता है। क्विंसी ने डॉयचे बैंक ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान कहा कि कोका-कोला के लिए भारत दुनिया का छठवां सबसे बड़ा बाजार है और यहां हमारा सबसे ज्यादा फोकस किफायत पर है। उन्होंने कहा कि भारत में जो इन्नोवेशन हमने किया है, जहां सॉफ्टड्रिंक की प्रति व्यक्ति खपत दुनिया में सबसे कम है, उससे कंपनी को अन्य विकासशील देशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
क्विंसी ने कहा कि पूरी दुनिया में सभी तरह के बाजार हैं, जहां आय में असमानता का ट्रेंड लगातार अपनी भूमिका निभाता है और जहां जरूरत होती है वहां हम मिडिल से अधिक प्रीमियम की ओर जाएंगे और अधिक किफायत की भी ओर जाएंगे।
सस्ती कीमत का दांव खेल रही हैं कंपनियां
कोका-कोला जैसी कंज्यूमर कंपनियां भारत के ग्रामीण बाजारों में कम कीमत का दांव खेल रही हैं, क्योंकि यहां औसत दैनिक आय 166 रुपए (2.96 डॉलर) के आसपास है। यही वहज है कि कोका-कोला ने 2013 में प्रयोग के तौर पर स्पलैश बार की शुरुआत की थी, जहां वेंडर 80-150 एमएल कप में स्प्राइट, थम्सअप, फैंटा और कोको-कोला की बिक्री 5 रुपए में करते हैं। इसकी शुरुआत ग्रामीण गुजरात में 31 बार के साथ हुई थी और अब इनकी संख्या 30,000 से ज्यादा हो गई है और यह बार प्रतिदिन 15 लाख कप की बिक्री कर रहे हैं। कोका-कोला इससे पहले भी कम कीमत का दांव खेल चुकी है। 2000 में उसने 200 एमएल बोतल को छोटा कोक के नाम से पांच रुपए में लॉन्च किया था। 2006 में इसने ऊंची ट्रांसपोर्टेशन लागत और पैकेजिंग कॉस्ट की वजह से इसकी कीमत बढ़ा दी। अब 200 एमएल बोतल की कीमत 12 रुपए है।
ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ाने के लिए कोका-कोला अन्य चीजों को अपनाने की भी कोशिश कर रही है, जिसमें टेक्नोलॉजी भी शामिल है। यह एक ऐसे पीईटी पैकेजिंग का परीक्षण कर रही है, जिससे ड्रिंक्स की सेल्फ लाइफ को बढ़ाया जा सके। क्विंसी ने कहा कि इस कदम के जरिये हम अपनी पहुंच ग्रामीण इलाकों में और गहराई तक मजबूती से बढ़ा सकते हैं। कंपनी ने अपना यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब भारत में शहरी उपभोक्ता कोल्ड ड्रिंक्स के बजाये ज्यादा स्वास्थ्य वर्द्धक पेय जैसे जूस और फ्रूट ड्रिंक्स को अपना रहे हैं। इसलिए कोल्ड ड्रिंक्स कंपनियों अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सीफाइड बना रही हैं।