नई दिल्ली। सार्वजनकि क्षेत्र के बैंकों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा का पक्ष लेते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि सरकार को सार्वजनिक बैंकों के निदेशक मंडल को पेशेवर बनाने के बाद इन बैंकों में निर्णय प्रक्रिया को विकेन्द्रीकृत करना चाहिए।
यहां सीडी देशमुख व्याख्यान में बोलते हुए राजन ने कहा कि क्या निदेशक मंडल को रणनीति नहीं तय करनी चाहिए या अपने मुख्य कार्यकारी की नियुक्ति नहीं करनी चाहिए? उनके कार्यकारी निदेशकों के बारे में क्या कहेंगे। क्या बैंक के निदेशक मंडल के पास इन चीजों को चुनने की और स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया को विकेन्द्रीकृत करने से निदेशक मंडल को अपने बैंकों को बेहतर बनाने की अधिक स्वतंत्रता देने में मदद मिलेगी। राजन ने कहा कि जब निदेशक मंडल के एक गलत निर्णय से हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है तो निदेशक मंडल में प्रतिभाशाली लोग हों, यह सुनिश्चित करने में क्या बुराई है।
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बैंकों की बैलेंस शीट के बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों की सेहत सुधारने के लिए कुछ संकटग्रस्त ऋणों को बट्टे खाते में डालना होगा, जिससे उनके लिए विलय का मार्ग प्रशस्त होगा और बैंकों को अपने संसाधनों का महत्तम उपयोग करने में मदद मिलेगी। सार्वजनिक बैंकों का सकल एनपीए जून-2015 तक बढ़कर 6.03 फीसदी पर पहुंच गया, जो मार्च- 2015 में 5.20 फीसदी था। राजन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त करने से उनकी वित्तीय सेहत सुधरेगी।