गुड़गांव। सरकार ने आज कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या को वह काफी अच्छी तरह से समझती है और इसलिए वह सरकारी बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराकर उन्हें मजबूत करने का काम जारी रख उनकी पूरी मदद करेगी।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने यहां द्वितीय ज्ञान संगम में कहा, बैंकों की कर्ज में फंसी राशि को लेकर उनकी समस्या को अब हम अच्छी तरह समझते हैं। हमारा मानना है कि सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों की संकटग्रस्त परिसंपत्तियां, उनके कुल अग्रिम का करीब आठ लाख करोड़ रुपए है। सरकार ने बजट 2016-17 में बैंकों को पूंजी देने के लिए 25,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा हम यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी हो, आवश्यकता पड़ने पर और पूंजी उपलब्ध कराएंगे।
सिन्हा ने कहा, फिलहाल बैंकिंग तंत्र में संकटग्रस्त ऋणों का आंकड़ा करीब 11.25 प्रतिशत तक है। दोहरी अच्छी खबर यह है कि संकटग्रस्त संपत्तियों की स्थिति अब और नहीं बिगड़ रही है। हमें पता है कि यह कहां है और इससे कैसे निपटा जाय। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, आरबीआई ने उस तरीके में भी कुछ खास बदलाव किए हैं, जिसमें टियर-1 पूंजी के तहत पूंजी को पुनर्गठित किया जा सकता है और इससे बैंकों की बैलेंस शीट और मजबूत हुई है। जहां तक संकटग्रस्त संपत्ति की स्थिति का संबंध है, सिन्हा ने कहा, हमें लगता है कि स्थिति पर अब हमारा अच्छी तरह से नियंत्रण है और हम आरबीआई के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं।
सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपए की राशि डालने की योजना है। यह काम मार्च 2019 तक चार साल में होगा। इसमें से 2015-16 और 2016-17 के दौरान प्रत्येक वर्ष 25,000 करोड़ रुपए दिये जाएंगे। इसके बाद 2017-18
और 2018-19 में प्रत्येक वर्ष 10,000 करोड़ रुपए की पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी।