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देश पर विदेशी कर्ज 10.6 अरब डॉलर बढ़कर हुआ 485.6 अरब डॉलर, कमर्शियल लोन की वजह से बढ़ा बोझ

देश का विदेशी ऋण का बोझ मार्च, 2016 के अंत तक सालाना आधार पर 10.6 अरब डॉलर बढ़कर 485.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

Abhishek Shrivastava
Published on: June 30, 2016 21:52 IST
देश पर विदेशी कर्ज 10.6 अरब डॉलर बढ़कर हुआ 485.6 अरब डॉलर, कमर्शियल लोन की वजह से बढ़ा बोझ- India TV Paisa
देश पर विदेशी कर्ज 10.6 अरब डॉलर बढ़कर हुआ 485.6 अरब डॉलर, कमर्शियल लोन की वजह से बढ़ा बोझ

मुंबई। देश का विदेशी ऋण का बोझ मार्च, 2016 के अंत तक सालाना आधार पर 10.6 अरब डॉलर बढ़कर 485.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक ने आज यह जानकारी दी। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि विदेशी ऋण में बढ़ोतरी का प्रभाव भारतीय रुपए तथा अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर मूल्यांकन में हुई बढ़त से आंशिक रूप से कम हो गया है।

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मार्च, 2016 के अंत तक जीडीपी के समक्ष विदेशी ऋण अनुपात 23.7 फीसदी रहा, जबकि यह मार्च, 2015 के अंत तक 23.8 फीसदी था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वाणिज्यिक ऋण का विदेशी कर्ज में सबसे बड़ा यानी 37.3 फीसदी हिस्सा है। इसके बाद एनआरआई जमा (26.1 फीसदी) तथा लघु अवधि का व्यापार ऋण (16.5 फीसदी) का नंबर आता है।

 नौ राज्‍यों में फसल बीमा योजना का ऑडिट करेगा कैग  

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) नौ राज्‍यों में फसल बीमा योजनाओं के प्रदर्शन का ऑडिट करेगा। कैग फसल नष्ट होने की स्थिति में इन पहलों से किसानों को मिलने वाली राहत की दक्षता का आकलन करेगा। रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों को इस बारे में संबंधित रिकॉर्ड ऑडिटर को उपलब्ध कराने को कहा है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि प्रदर्शन ऑडिट के तहत कृषि सहयोग एवं कृषक कल्याण विभाग के रिकॉर्ड की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा राज्य कृषि विभाग तथा अन्य संबंधित विभागों के रिकॉर्ड की भी जांच की जाएगी।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह ऑडिट आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडि़शा, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा तेलंगाना राज्‍यों में संबंधित प्रदेशों के प्रधान महालेखाकार-महालेखाकार (ऑडिट) की मदद से किया जाएगा। इसके अलावा फसल बीमा योजना चूंकि विभिन्न बैंकों, बीमा कंपनियों तथा सहकारी संस्थानों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है, ऐसे में इन संगठनों के रिकॉर्ड की जांच जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से हो रहा है या नहीं।

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