नई दिल्ली। उद्योग मंडल फिक्की ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के एक कानून के कारण भारत का कपड़ा निर्यात प्रभावित हो रहा है। संघीय खरीद के लिए अमेरिकी कानून के तहत वहां की कंपनियों को कच्चे माल की खरीद नामित देशों या घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से ही करनी होती है। फिक्की ने इस बारे में एक ज्ञापन कपड़ा तथा वाणिज्य व उद्योग मंत्रालयों को सौंपा है।
इसके अनुसार, फिक्की ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे को द्विपक्षीय या बहुपक्षीय आधार पर अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाने का आग्रह किया है, ताकि इसे सर्वमान्य ढंग से सुलझाया जा सके। भारतीय कपड़ा निर्यातकों ने सूचना दी है कि अमेरिका के सरकारी विभागों व एजेंसियों को आपूर्ति करने वाले अमेरिकी क्रेताओं या कंपनियों ने भारत जैसे उन देशों से कच्चा माल लेना बंद कर दिया है, जो कि सामान्य सेवा प्रशासन (जीएसए) अनुसूची अनुबंध में नहीं आते हैं।
ई-कॉमर्स आय 2016 में पहुंच सकती है 38 अरब डॉलर: एसोचैम
देश का ई-कॉमर्स बाजार 2016 में 38 अरब डॉलर का हो सकता है। उद्योग को 2015 में 23 अरब डॉलर की आय हुई थी। उद्योग मंडल एसोचैम ने एक अध्ययन में यह कहा है। अध्ययन के अनुसार, इंटरनेट और मोबाइल की बढ़ती पहुंच, ऑनलाइन भुगतान की बढ़ती स्वीकार्यता से कंपनियों को अपने ग्राहकों से जुड़ने का अनूठा अवसर मिला है।
एसोचैम ने कहा कि ऑनलाइन खरीद पर आक्रमक तरीके से मिली छूट के साथ खरीद प्रवृत्ति में उल्लेखनीय तेजी देखी गई, ईंधन की कीमत में वृद्धि तथा व्यापक एवं पर्याप्त विकल्प से 2016 में ई-कॉमर्स उद्योग पर असर पड़ेगा। दूसरी ओर ई-कॉमर्स के स्थिर और सुरक्षित पूरक के रूप में मोबाइल कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है। उद्योग मंडल के अनुसार स्मार्टफोन के जरिये ऑनलाइन खरीदारी पासा पलटने वाला साबित हो रहा है। उद्योग का मानना है कि एम-कॉमर्स का उनकी कुल आय में 70 फीसदी तक योगदान होगा। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन खरीदारी के मामले में मुंबई पहले स्थान पर है। उसके बाद क्रमश: दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु और कोलकाता का स्थान है।