वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिलिकॉन वैली दौरे के बावजूद मेक इन इंडिया अभियान को झटका लगता दिख रहा है। जानकारी के मुताबिक इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए दुनिया में मशहूर टेस्ला मोटर्स भारत के बजाए चीन में कारों का उत्पादन करने की योजना बना रहा है। कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने कहा है कि चीन में प्लांट लगाने को लेकर वहां के अधिकारियों से बात-चीत हो रही है और इसकी अधिकारिक घोषणा जल्द की जा सकती है। गौरतलब है कि सितंबर में मोदी सिलिकॉन वैली के दौरे गए थे। मोदी ने उस दौरान टेस्ला मोटर्स के प्लांट का दौरा कर कपनी के सीईओ से भी मुलाकात की थी। लेकिन इस मुलाकात का असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है।
भारत क्यों नहीं आया टेस्ला?
चीन में उत्पादन लागत कम
चीनी मीडिया के मुताबिक, टेस्ला चीन में अगले तीन वर्षों में लग्जरी सिडान कारों का उत्पादन सुरू कर सकता है। इन कारों की कीमत 70,000 डॉलर (लगभग 45 लाख रुपए) आंकी जा रही है। कथित तौर पर एलन मस्क के मुताबिक चीन में कारों का उत्पादन करने से प्रोडक्शन कॉस्ट में एक तिहाई की कमी आएगी।
भारत से बड़ा चीन का इलेक्ट्रिक कार बाजार
चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार है। बीते साल करीब 2 करोड़ कारें यहां बेची गई थीं। गाड़ियों की वजह से चीन में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सरकार बड़े फैसले ले सकती है। दरअसल चीन में इस वक्त ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर जोरदार चर्चा हो रही है। ऐसे में कंपनी को उम्मीद है कि आन वाले वक्त में इलेक्ट्रिक कारों के लिए बड़ा बाजार मिल सकता है। हाल में ही चीन ने 2020 तक 50 लाख लेक्ट्रिक कार सड़कों पर उतारने का फैसला किया है। टेस्ला ने नवंबर 2013 में चीन के पेइचिंग में शोरूम खोला था।
राजनीतिक और रेग्युलेटरी माहौल नहीं अनुकूल
जानकार के मुताबिक चीन की तरह भारत में भी बढ़ते प्रदूषण से इलेक्ट्रिक कारों का बाजार बड़ा बन सकता है। लेकिन, देश के रेग्युलेटरी वातारण और राजनीतिक माहौल की वजह से टेस्ला भारत में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। हालांकि, कंपनी में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग काम करते हैं।
कैलिफोर्निया में होता टेस्ला कारों का उत्पादन
कंपनी का नाम आविष्कारक निकोला टेस्ला के नाम पर रखा गया है। फिलहाल टेस्ला की सभी कारों का प्रोडक्शन कैलिफोर्निया में होता है। कंपनी ने हाल ही में नीदरलैंड्स में एक असेंबली यूनिट शुरू की है।
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