नई दिल्ली। नए साल के दूसरे दिन एक बार फिर देश आतंकवाद की आग में झुलस गया। पंजाब के पठानकोट एयरफोर्स बेस पर आज तड़के करीब साढ़े 3 बजे पाकिस्तानी आतंकियों के एक ग्रुप ने अटैक कर दिया। करीब 5 घंटे चली सुरक्षाबलों की कार्यवाही में 4 आतंकी ढेर हो गए जबकि 3 जवान शहीद हो गए। ऐसे अटैक हमले सिर्फ देश को सामाजिक या राजनीतिक मोर्चे पर ही अस्थिर नहीं करते, बल्कि इससे देश की इकोनॉमी भी बुरी तरह प्रभावित होती है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विसेस की हाल ही में जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आतंकवादी हमलों का इसकी अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालीन नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मूडीज के अनुसार उसका अध्ययन बताता है कि आतंकवादी हमलों से आर्थिक गतिविधियां उल्लेखनीय रूप से कमजोर हुई हैं और इसका अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ा है।
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जानिए 2013 में कितना रहा आतंकवाद का असर
मूडीज इनवेस्टर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 में हुए कुल आतंकवादी अटैक में 60 फीसदी से अधिक केवल चार देशों में हुए। ये देश इराक (24 फीसदी), पाकिस्तान (19 फीसदी) अफगानिस्तान (12 फीसदी) तथा भारत (5.8 फीसदी) हैं। भारत में 2013 में 690 आतंकवादी हमले हुए। इराक इस प्रकार की 2,852 घटनाओं के साथ सूची में सबसे ऊपर है। उसके बाद पाकिस्तान (2,212 हमले) तथा अफगानिस्तान (1,443 हमले) का स्थान है। पिछले बीस साल में (1994 से 2013) भारत में 6,024 हमले हुए हैं। यह दुनिया भर में हुए कुल आतंकवादी हमलों 68,962 का 10वां हिस्सा है।
अर्थव्यवस्था पर कई दुष्प्रभाव
अर्थव्यवस्था को आतंकवाद कई तरह से प्रभावित करता है। हमलों में होने वाला प्रत्यक्ष नुकसान तो अपनी जगह है ही, आतंकवाद के मौजूद रहते निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाना आसान नहीं होता। मुंबई पर 26 नवंबर 2008 के हमले की बात करें तो भारत की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर मुंबई पर आतंकवादी हमले के बाद से भारत की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार भी सालाना 7 फीसदी तक सिमट गई, जबकि वर्ष 2008 तक भारत की जीडीपी ग्रोथ 9.3 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही थी।
जीडीपी को 0.5 से 0.8 फीसदी का नुकसान
मूडीज ने कहा है कि 2013 में आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देशों की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ा है। इन हमलों की वजह से इन देशों की जीडीपी 0.5 से 0.8 फीसदी के बीच कम हुई है। इसके अलावा सबसे बुरी बात यह है कि हमले के बाद भी इसका नकारात्मक प्रभाव कई सालों तक बना रहता है। मूडीज का अनुमान है कि 2013 में हुए आतंकवादी हमलों से सबसे ज्यादा प्रभावित इन दस देशों में इनवेस्टमेंट ग्रोथ भी 1.3 से 2.1 फीसदी तक घट चुकी है। आतंकवादी हमलों से सरकारों का कर्ज लेने की लागत भी बढ़ गई है। आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में कर्ज की लागत 0.41 से 0.65 फीसदी तक बढ़ गई है।
आतंकवाद का सूक्ष्म, मध्यम और दीर्घ अवधि में नुकसान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के शोधकर्ताओं बैरी जॉनस्टन और ओना नेडेलेस्कू ने 2005 में जारी अपने एक पेपर में कहा है कि आतंकवादी हमले से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान होता है। प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान की प्रकृति सूक्ष्म-अवधि की होती है और इसमें जीवन का संपत्ति का नुकसान, आपतकालीन सेवा प्रदाताओं, सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर की बहाली तथा अस्थाई निवास सुविधा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।