नई दिल्ली। भारती एयरटेल और रिलायंस जियो सहित प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने कॉल ड्रॉप समस्या के हल के लिए अपने ढांचे के उन्नयन और विस्तार पर 74,000 करोड़ रुपए निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने यह जानकारी दी। दूरसंचार कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई बैठक के बाद सुंदरराजन ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने मोबाइल टावर के लिए साइट उपलब्ध नहीं होने तथा कुछ अन्य समस्याओं के बारे में बताया है।
उन्होंने बताया कि भारती एयरटेल ने कहा है कि उसने बुनियादी ढांचे पर 16,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है और वह 24,000 करोड़ रुपए का और निवेश करने जा रही है। रिलायंस जियो ने कहा है कि वह आगामी वित्त वर्ष में एक लाख टावर लगाने पर 50,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन ने भी अपने नेटवर्क पर मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।
उन्होंने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने कॉल ड्रॉप पर अपना विश्लेषण पेश किया, जिससे पता चलता है कि इसमें स्थिरता आई है। लेकिन वॉयस कॉल में अवरोध आदि समस्याएं अन्य मुद्दों की वजह से बढ़ी हैं। कुछ मोबाइल फोन जरूरी प्रमाणन नियमनों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
सचिव ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने कहा है कि वैश्विक अनुकूलता ढांचा प्रमाणन के बिना वाले मोबाइल फोन में कॉल ड्रॉप की समस्या प्रमाणीकृत उपकरणों से अधिक है। उन्होंने कहा कि उन्होंने नेटवर्क में लगे गै-रकानूनी रिपीटर्स का मुद्दा उठाया है जिससे बाधा आ रही है और इससे कॉल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। हम नियमों को अधिक कड़ाई से लागू करेंगे।
सुंदरराजन ने कहा कि दूरसंचार विभाग की सतर्कता इकाई मोबाइल सेवा प्रदाताओं द्वारा उठाए गए गैर अनुपालन के मुद्दों को देखेगा।
उन्होंने बताया कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने कहा है कि भारत में एक विशिष्ट प्रकार का रुख देखने को मिला है, जिसमें 400 कॉलर एक ही समय में मोबाइल टावर का इस्तेमाल करते हैं वहीं चीन और अन्य देशों में यह औसत 200 से 300 है। अब ऑपरेटर इस मुद्दे से निपटने के लिए उपकरण विनिर्माताओं के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं।