नई दिल्ली। संचार नेटवर्क की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने आज दूरसंचार क्षेत्र के लिए सुरक्षा निर्देश जारी किए हैं। सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति के द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक सर्विस प्रोवाइडर उपकरणों की खरीद सिर्फ उन कंपनियों से ही कर सकेंगे जिसे भारत सरकार ने भरोसेमंद माना हो। अनुमान है कि सरकार के इस फैसले से चीन से आने वाले दूरसंचार उपकरणों पर लगाम कसी जा सकती है।
क्या है सरकार की योजना
दूरसंचार एवं आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देशों को मंजूरी दे दी है। इस के तहत सरकार देश के दूरसंचार नेटवर्क के लिए भरोसेमंद स्रोतों तथा भरोसेमंद उत्पादों की लिस्ट जारी करेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भरोसेमंद उत्पादों का तौर-तरीका राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक द्वारा निकाला जाएगा। सर्विस प्रोवाइडर ऐसे नए नेटवर्क उपकरणों को ही शामिल कर सकेंगे, जिन्हें देश की सुरक्षा के लिए भरोसेमंद करार दिया जाएगा।’
‘ब्लैक लिस्ट’ कंपनियों की भी जारी होगी लिस्ट
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक भरोसेमंद स्रोत और उत्पाद की सूची उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अगुवाई वाली समिति की मंजूरी पर तैयार की जाएगी। उन्होने कहा कि इस समिति में संबंधित विभागों और मंत्रालयों के सदस्यों के अलावा उद्योग के दो सदस्य और स्वतंत्र विशेषज्ञ भी शामिल रहेंगे। इस समिति को दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति कहा जाएगा। इसके अलावा सरकार ऐसे स्रोतों की सूची भी तैयार करेगी जिनसे कोई खरीद नहीं की जा सकेगी। यानि सरकार ब्लैक लिस्ट कंपनियों और सोर्स की भी लिस्ट निकालेगी।
कैसे पड़ेगा चीन की कंपनियों पर असर
हाल के महीनों में भारत ने दूरसंचार से लेकर बिजली क्षेत्र में चीन के उपकरणों के आयात पर राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देकर प्रतिबंध लगाया है। इन उपकरणों पर स्पाईवेयर या ‘मालवेयर’ की चिंता को लेकर रोक लगाई गई है। पिछले साल सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (आईएमईआई) के बिना चीन के हैंडसेटों के आयात पर रोक लगाई थी। सुरक्षा की दृष्टि से आईएमईआई नंबर काफी अहम होता है। इन कदमों को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार चीन को लेकर काफी सख्त है और आने वाले समय में उसके खिलाफ और कड़े कदम उठा सकता है। भारत टेलीकॉम सेक्टर का एक बड़ा बाजार है, जिसमें लगातार बढ़त देखने को मिल रही है। ऐसे में चीन की कंपनियों पर यहां प्रतिबंध लगता है तो वो दुनिया के एक सबसे बड़े बाजार से बाहर हो जाएंगी।