नई दिल्ली: AGR बकाया मामले को निपटाने के लिए सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार चाहती है कि कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए जो सुप्रीम कोर्ट को भी मंजूर हो साथ ही सेक्टर की वित्तीय सेहत और ग्राहकों के हितों की अनदेखी भी न हो। सूत्रों के मुताबिक सरकार इन तीनों बिंदुओं को लेकर ही आगे कोई कदम उठा सकती है।
वहीं सूत्रों के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियां अब तक करीब 16000 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान कर चुकी हैं। इसमें से अब तक भारती एयरटेल 10 हजार करोड़, वोडाफोन आइडिया 3500 करोड़ और टाटा ग्रुप करीब 22सौ करोड़ रुपये का भुगतान कर चुके हैं। वहीं कुछ कंपनियों ने अगले 7 से 8 दिन में और रकम चुकाने की बात कही है।
टेलीकॉम कंपनियों के द्वारा लाइसेंस फीस के रूप में 22589 करोड़ रुपये चुकाने हैं वहीं ब्याज और जुर्माने के साथ लाइसेंस फीस का कुल बकाया 92641 करोड़ रुपये होता है।भारती एयरटेल पर बकाया लाइसेंस फीस 5528 करोड़ रुपये है। वहीं वोडाफोन आइडिया को 6871 करोड़ रुपये, टाटा ग्रुप पर 2321 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं कुल स्पेक्ट्रम यूजेस चार्ज का बकाया 55 हजार करोड़ रुपये है। यानि टेलीकॉम कंपनियों को करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ये आंकड़े जुलाई 2019 तक हैं। आगे के बकाये की गणना जारी है। किसी भी भुगतान में देरी पर उसमें ब्याज लगना शुरू हो जाता है जो एसबीआई के प्राइम लैंडिंग रेट से 2 फीसदी अधिक है। टेलीकॉम विभाग के मुताबिक फीस, जुर्माना और ब्याज मिलाकर एयरटेल को कुल 35586 करोड़, और वोडाफोन आइडिया को करीब 50 हजार करोड़ रुपये चुकाने हैं।