नई दिल्ली। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित तमाम दूरसंचार कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये का 10 प्रतिशत मार्च 2021 तक भुगतान करना होगा और उनके द्वारा पहले किए गए आशिंक भुगतान से इसमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वर्तमान में परिचालन वाली दूरसंचार कंपनियों द्वारा 31 मार्च तक 12,921 करोड़ रुपए का बकाया दिए जाने की उम्मीद है, जिसमें से करीब 80 प्रतिशत भुगतान वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को करना है।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) के एक अधिकारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय का आदेश एकदम स्पष्ट है कि दूरसंचार कंपनियों को डीओटी द्वारा मांगी गई कुल बकाया राशि का 10 प्रतिशत 31 मार्च 2021 तक चुकाना होगा। डीओटी ने पहले ही पूरे एजीआर बकाये की मांग की है। दूरसंचार कंपनियों को अगले वित्त वर्ष से 10 वर्षीय किस्तों में बकाये का भुगतान करना है। अधिकारी के अनुसार वोडाफोन आइडिया को लगभग 5,825 करोड़ रुपए और भारती एयरटेल को 4,398 करोड़ रुपए चुकाने होंगे, जिनका कुल बकाया क्रमश: 58,254 करोड़ रुपए और 43,980 करोड़ रुपए है। उक्त बकाया राशि डीओटी ने शीर्ष अदालत में बताई थी। अधिकारी ने कहा कि यह भुगतान इस बात के बावजूद करना है कि वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने आंशिक भुगतान के तौर पर क्रमश: 7,854 करोड़ रुपए और 18,004 करोड़ रुपए अब तक चुका दिए हैं।
अधिकारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को इन भुगतानों के बारे में पहले ही पता था। फिर भी उन्होंने स्पष्ट रूप से डीओटी द्वारा मांगे गए कुल बकाए के 10 प्रतिशत का उल्लेख किया है। इसी तरह बीएसएनएल और एमटीएनएल, जिन्होंने कोई भुगतान नहीं किया है, उन्हें इस वित्त वर्ष के अंत तक क्रमश: 583.5 करोड़ रुपए और 435 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। यह पूछने पर कि क्या डीओटी बकाया भुगतान की किस्त चुकाने के लिए कोई मांग नोटिस जारी करेगा, अधिकारी ने कहा कि किसी भी नोटिस की जरूरत नहीं है, क्योंकि शीर्ष अदालत का आदेश पहले से ही है और कंपनियों को भुगतान के बारे में पता है, जो उन्हें करना है। सिर्फ रिलायंस जियो को कोई भुगतान नहीं करना है, क्योंकि उसने 195.18 करोड़ रुपए का पूरा बकाया चुका दिया है।
दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार कंपनियों से कुल 1.47 लाख करोड़ रुपए की मांग की है। रिलायंस कम्यूनिकेशंस (कुल बकाया 21,139 करोड़), एयरसेल (10229.77 करोड़), एस टेल (55.67 करोड़), एटीसलाट डीबी (31.81 करोड़) जैसी कुछ कंपनियां या तो दिवालिया प्रक्रिया में है या अपना परिचालन बंद कर चुकी हैं।