नई दिल्ली। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि देश में चार-पांच बड़ी टेलीकॉम कंपनियों ने एक कार्टेल बनाकर 100 करोड़ यूजर्स अपने साथ जोड़े हैं और प्रतिदिन ये कंपनियां 250 करोड़ रुपए कमा रही हैं। लेकिन यह कंपनियां नेटवर्क को बेहतर बनाकर कॉल ड्रॉप रोकने के लिए आवश्यक निवेश नहीं कर रही हैं।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये कंपनियां आउटगोइंग कॉल के जरिए प्रतिदिन 250 करोड़ रुपए की कमाई कर रही हैं। इनके कारोबार की वृद्धि जबरदस्त है, लेकिन वे कॉल ड्रॉप पर अंकुश के लिए सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए अपने नेटवर्क पर बहुत कम निवेश कर रही हैं। ट्राई की ओर से पैरवी करते हुए रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ तथा न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ के समक्ष नियामक द्वारा टेलीकॉम कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने को उचित बताया। उन्होंने कहा कि यह जुर्माना 280 करोड़ रुपए है, हजारों करोड़ रुपए नहीं, जैसा कि कंपनियां दावा कर रही हैं। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस सहित 21 टेलीकॉम कंपनियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें ट्राई के जनवरी से कॉल ड्रॉप के लिए ग्राहकों को मुआवजा देने के फैसले को उचित ठहराया गया है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि टेलीकॉम ऑपरेटर कॉल ड्रॉप के लिए स्पेक्ट्रम की कमी को वजह बताते हैं, लेकिन हालिया 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी में स्पेक्ट्रम बिक नहीं पाया। उन्होंने कहा कि चाहे आपके पास स्पेक्ट्रम है या कम स्पेक्ट्रम है यह ट्राई की समस्या नहीं है। यदि आपके पास कम स्पेक्ट्रम है, तो आपको या तो अपने ग्राहकों की संख्या कम करनी चाहिए या टेक्नोलॉजी में निवेश करना चाहिए। कोई भी यह कहते हुए आगे नहीं आया है कि मेरे हाथ भरे हुए हैं और मुझे और ग्राहकों की जरूरत नहीं है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी।