नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा किए गए धन की जांच को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए आयकर विभाग ने कहा कि 2.50 लाख रुपए तक की जमा पर कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा। केवल उन्हीं खातों की जांच होगी जो उनकी कर रिटर्न से मेल नहीं खाते।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्र ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई की बजट बाद संगोष्ठी में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग ने बिग डेटा विश्लेषण के जरिए विभिन्न प्रकार की जमाओं को अलग-अलग किया है और एक करोड़ रपये से अधिक राशि की ऐसी जमा जो कि उनके पिछले वर्षों में दाखिल रिटर्न से मेल नहीं खातीं हैं उनकी विभिन्न स्तर पर जांच की जाएगी।
- चंद्र ने कहा, किसी भी सही व्यक्ति को डरने की कोई जरूरत नहीं है। हम सुनिश्चित करेंगे कि ईमानदार का कोई उत्पीड़न नहीं हो।
- उन्होंने कहा कि 8 नवंबर 2016 को घोषित नोटबंदी के बाद बैंकों जमाओं के बारे में विभाग को बड़ी मात्रा में डेटा मिला है।
- चंद्र ने कहा, हमें जमाओं के बारे में बड़ी मात्रा में डेटा मिला और हमने दो लाख रपये व 80 लाख रुपए के बीच तथा 80 लाख रुपए व अधिक की जमाओं (से जुड़ी जानकारी) को अलग किया है।
- जैसा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि हम 2.5 लाख रुपए तक की जमाओं के लिए सवाल नहीं पूछेंगे, इसलिए हमने इस डेटा को फिलहाल अलग रख दिया है।
- उन्होंने कहा कि कर विभाग ने 50 दिन की नोटबंदी अवधि के दौरान पांच लाख रपये से अधिक की सभी जमाओं की जानकारी जुटाने हेतु अपने डेटा बैंक का इस्तेमाल किया।
- एक उदाहरण के रूप में उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की सालाना कराधान योग्य आय 10 लाख रुपए हैं और उसने तीन लाख रुपए की जमाएं करवाई तो कर विभाग उसे नहीं छुएगा।