मुंबई। साइरस मिस्त्री को टाटा संस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के क्रमश: चेयरमैन और निदेशक पद से बर्खास्त करने का फैसला कंपनी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन था। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में कंपनी पंजीयक (आरओसी) मुंबई ने जवाब दिया है कि यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुरूप भी नहीं था। सबसे खास बात यह है कि यह टाटा की खुद के कंपनी नियमों के प्रावधानों का भी उल्लंघन था।
सूचना के अधिकार के तहत यह जवाब सहायक कंपनी पंजीयक, मुंबई उदय खोमाने ने तीन अक्टूबर को दिया है। शापोरजी पल्लोनजी समूह की निवेश इकाइयों ने 31 अगस्त को इस बारे में आवेदन कर जवाब मांगा था।
आरटीआई के तहत दिए गए जवाब में कहा गया है कि मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन और टीसीएस के निदेशक पद से हटाना कंपनी कानून, 2013 के संबद्ध प्रावधानों का उल्लंघन है। इसके अलावा यह रिजर्व बैंक के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के संचालन नियमों का भी उल्लंघन है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यह टाटा संस के खुद की कंपनी के नियम 118 का भी उल्लंघन है। यह टाटा समूह की पैतृक कंपनी है।
टाटा संस के प्रवक्ता ने इस बारे में जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि हम अदालत में लंबित मामलों पर टिप्पणी नहीं करते। यह जवाब 24 अक्टूबर, 2016 को बोर्डरूम में मिस्त्री को समूह के चेयरमैन पद से हटाए जाने बाद टाटा द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों के आधार पर दिया गया है।
रिपोर्ट कंपनी पंजीयक का आंतरिक विचार पेश करती है। यह रिपोर्ट इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई द्वारा अपनाए गए रुख से पूरी तरह उलट है। एनसीएलटी ने मिस्त्री द्वारा अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। वह कंपनी के वैश्विक मुख्यालय बांबे हाउस में चार साल से दो महीने कम तक इस पद पर रहे। मिस्त्री का परिवार टाटा संस में सबसे बड़ा गैर टाटा परिवार शेयरधारक है। कंपनी में उसकी हिस्सेदारी 18.4 प्रतिशत है।