नई दिल्ली। घरेलू इस्पात कंपनी टाटा स्टील चालू वित्त वर्ष में अपने भारतीय ऑपरेशंस पर 8,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च करेगी। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ टी वी नरेंद्रन ने यह जानकारी दी। नरेंद्रन ने कहा कि यह राशि मुख्य रूप से कलिंगनगर संयंत्र के विस्तार तथा खनन परिचालन और रिसाइक्लिंग कारोबार के विस्तार पर खर्च की जाएगी। उनसे वित्त वर्ष 2021-22 के लिए टाटा स्टील की भारतीय कारोबार की योजनाओं के बारे में पूछा गया था जिसके बाद उन्होने निवेश के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह राशि यूरोपीय परिचालन पर किए जाने वाले 3,000 करोड़ रुपये के निवेश के अतिरिक्त होगी।
सीईओ ने कहा, ‘‘व्यापक रूप से भारत के लिए हमारा निवेश 8,000 करोड़ रुपये रहेगा।’’ नरेंद्रन ने कहा कि इसमें से अच्छी-खासी राशि कलिंगनगर के विस्तार पर खर्च की जाएगी। हम अपने कच्चे माल पर खर्च को भी बढ़ाएंगे क्योंकि कलिंगनगर के विस्तार को समर्थन के लिए हम अपनी लौह अयस्क खनन क्षमता का विस्तार जारी रखेंगे। ऐसे में कलिंगनगर और कच्चे माल पर हमारा खर्च 8,000 करोड़ रुपये रहेगा। टाटा स्टील अपने ओडिशा के कलिंगनगर संयंत्र की क्षमता को 50 लाख टन सालाना बढ़ाकर 80 लाख टन सालाना करने जा रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या टाटा स्टील रीसाइक्लिंग कारोबार के लिए बाजार संभावनाएं तलाशेगी और 8,000 करोड़ रुपये में से कुछ इसमें लगाएगी, नरेंद्रन ने कहा कि कंपनी कबाड़ या स्क्रैप में अलग कारोबारी मॉडल अपनाती है। यह भागीदारी में होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें जो भी खर्च करने की जरूरत है, वह इसमें शामिल होगा। लेकिन स्क्रैप में हमारे परिचालन का अलग मॉडल है। भागीदार सुविधाओं की स्थापना करेंगे। वे स्थापना करेंगे, हम गुणवत्ता का प्रबंधन करेंगे और इस्पात बेचेंगे। यह भागीदारी मॉडल में होगा।’’ नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है, क्योंकि वहां अधिक स्क्रैप उपलब्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे स्थानों पर ये प्रतिष्ठान स्थापित करेंगे जहां अधिक स्क्रैप उपलब्ध है। टीम इसपर काम करेगी।’’ इससे पहले 18 अगस्त को टाटा स्टील ने हरियाणा के रोहतक में अपना पहला इस्पात रीसाइक्लिंग संयंत्र चालू करने की घोषणा की थी।
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