नई दिल्ली: एयर इंडिया की स्थापना 88 साल पहले टाटा समूह ने ही की थी। वर्ष 1932 में टाटा एयर सर्विसेज के तौर पर एयर इंडिया की शुरुआत हुई थी। 1947 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया था और एक साल बाद इसका नाम बदलकर एयर इंडिया हो गया। 68 साल बाद एक बार फिर से टाटा ग्रुप, एयर इंडिया का मालिक बन गया है। भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी एअर इंडिया (Air India) की शुरुआत 88 साल पहले टाटा ग्रुप के चेयरमेन 'जहांगीर रतनजी ददभोय टाटा' (JRD Tata) ने की थी और आज एक बार फिर से 88 साल पुराना इतिहास दोहराया गया है।
भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए बेहद खास है 15 अक्टूबर की तारीख
15 अक्टूबर की तारीख भारतीय एविएशन सेक्टर (Indian Aviation Sector) की सबसे खास तारीख है, क्योंकि इसी दिन देश की पहली विमान सेवा (First Air Service of Country) शुरू हुई थी। इसे शुरू किया था जेआरडी टाटा (JRD Tata) ने एक दक्षिण अफ्रीकी पायलट विंसेंट नेविल (Nevill Vintcent) के साथ मिलकर। तब इसके विमान वो दोनों खुद ही उड़ाते थे। अप्रैल 1932 में एयर इंडिया का जन्म हुआ था, उस समय के उद्योगपति जेआरडी टाटा ने इसकी स्थापना की थी, मगर इसका नाम एयर इंडिया नहीं था। तब इसका नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था।
जानिए टाटा एयरलाइंस की कब हुई थी शुरुआत
टाटा एयरलाइंस की शुरुआत यूं तो साल 1932 में हुई थी मगर जेआरडी टाटा ने वर्ष 1919 में ही पहली बार हवाई जहाज तब शौकिया तौर पर उड़ाया था जब वो सिर्फ 15 साल के थे। फिर उन्होंने अपना पायलट का लाइसेंस लिया। मगर पहली व्यावसायिक उड़ान उन्होंने 15 अक्टूबर को भरी जब वो सिंगल इंजन वाले 'हैवीलैंड पस मोथ' हवाई जहाज को अहमदाबाद से होते हुए कराची से मुंबई ले गए थे। इस उड़ान में सवारियां नहीं थीं बल्कि 25 किलो चिट्ठियां थीं। यह चिट्ठियां लंदन से 'इम्पीरियल एयरवेज' द्वारा कराची लाई गईं थीं। 'इम्पीरियल एयरवेज़' ब्रिटेन का राजसी विमान वाहक हुआ करता था। टाटा एयरलाइंस के लिए साल 1933 पहला व्यावसायिक वर्ष रहा। 'टाटा संस' की 2 लाख की लागत से स्थापित कंपनी ने इसी वर्ष 155 पैसेंजरों और लगभग 11 टन डाक भी ढोई। टाटा एयरलाइन्स के जहाजों ने एक ही साल में कुल मिलाकर 160, 000 मील तक की उड़ान भरी। ब्रितानी शाही 'रॉयल एयर फोर्स' के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे जबकि जेआरडी टाटा और और विंसेंट दूसरे और तीसरे पायलट थे।
देश की पहली विमान सेवा 15 अक्टूबर 1932 को शुरू हुई थी
88 साल पहले देश की पहली विमान सेवा 15 अक्टूबर 1932 को शुरू हुई थी। जेआरडी टाटा और नेविल विंसेंट ने मिलकर टाटा संस लिमिटेड के तले ये विमान सेवा शुरू की गई थी। इसके बाद लंबे समय तक टाटा भारत के आकाश में अपनी विमान सेवा के साथ छाए रहे। आजादी के बाद भारत सरकार इसका अधिग्रहण कर लिया था। हालांकि, इसे नाम एयर इंडिया उससे पहले ही मिल चुका था। दरअसल, नेविल विंसेंट दक्षिण अफ्रीका के रहने वाले थे। उन्होंने ब्रिटिश एय़रफोर्स में पायलट के तौर पर करियर शुरू किया था। रिटायर होने के बाद उन्होंने अंदाज लगा लिया था कि भारत में एविएशन सेक्टर के अब फलने-फूलने के दिन आ गए हैं। जेआरडी को ये योजना तुरंत पसंद आ गई।
जेआरडी टाटा को पसंद आ गई थी ये योजना
हालांकि, नेविल ने विमान सेवा शुरू करने के लिए भारत में 20 और 30 के दशक में कई भारतीय व्यावसायियों से मिलकर कोशिश की लेकिन उनकी योजना से बड़े भारतीय कारोबारी प्रभावित नहीं थे। तब जेआरडी टाटा को ये योजना पसंद आ गई। शायद उसकी वजह ये भी थी कि जेआरडी के पास खुद भी पायलट का लाइसेंस था और वो विमानों में बहुत इंटरेस्ट लेते थे।
पहली उड़ान थी कराची से मुंबई तक
जैसे ही नेविल उनके पास आए। उन्होंने अपनी योजना बताई। जेआरडी ने इसे तुरंत लपक लिया। इस विमान सेवा की पहली उडान 15 अक्टूबर 1932 को हुई। टाटा की पहली उड़ान में जेआरडी टाटा कराची से एक हवाई जहाज में मुंबई आ पहुंचे, इस हवाई जहाज में डाक थी। मुंबई के बाद विंसेंट जहाज उड़ा कर मद्रास तक ले गए।
दो छोटे विमान, तीन पायलट और तीन मैकेनिक
ये कंपनी केवल दो छोटे जहाजों के साथ शुरू की गई थी लेकिन उस समय भारत में ऐसा करना भी बहुत बड़ी बात थी। कंपनी में जेआरडी टाटा और विंसेंट के अलावा एक पायलट और था। मतलब साफ है कि टाटा और विंसेंट नियमिंत तौर पर विमान सेवा के विमानों को उड़ाने का काम करते थे। तीसरे पायलट होमी भरूचा थे, जो जाने-माने पायलट थे और टाटा व विंसेंट से ज्यादा अनुभवी पायलट। वो ब्रिटिश रॉयल फोर्स में पायलट रह चुके थे, साथ ही इससे तीन मैकेनिक जुड़े हुए थे।
शुरुआत डाक के लिए हुई थी
शुरुआती दिनों में ये कंपनी केवल कराची से चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) के बीच एक साप्ताहिक सेवा चलाती थी। यह सेवा शुरुआत में डाक के लिए शुरू की गई थी। उड़ान कराची से शुरू होकर अहमदाबाद और मुंबई होते होते चेन्नई में खत्म होती थी।
पहले साल डाक के साथ 155 यात्रियों ने भी की सवारी
बहुत लंबे समय तक ये कंपनी राजस्व के लिए भारत पर काबिज ब्रितानी सरकार की डाक पर ही आश्रित थी। पहले साल कंपनी के विमानों ने लगभग 2.5 लाख किलोमीटर उड़ान भरी, जिसमें 10.71 टन डाक और 155 यात्री शामिल थे, तब इसका नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था।