नई दिल्ली। टाटा ग्रुप ने सरकार को शुक्रवार को अपने वायरलेस बिजनेस को बंद करने की योजना से अवगत कराया। टाटा ग्रुप के 21 साल पुराने फोन सर्विस वेंचर अब खत्म होने जा रहा है।
टाटा ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर सौरभी अग्रवाल और टाटा टेलीसर्विसेस के मैनेजिंग डायरेक्टर एन श्रीनाथ दोनों ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशंस के अधिकारियों से मुलाकात की और अपने मौजूदा स्पेक्ट्रम को सरेंडर या बेचने के रास्तों पर चर्चा की। टाटा टेली के पास सरकार द्वारा प्रशासनिक तरीके से दिया गया स्पेक्ट्रम है और कुछ स्पेक्ट्रम कंपनी ने हाल के वर्षों में नीलामी के जरिये खरीदा है। टाटा टेलीसर्विसेस टाटा ग्रुप की टेलीकॉम यूनिट है।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वह यह बताने आए थे कि वह अपना बिजनेस बंद कर रहे हैं। वे इसी महीने इसकी प्रक्रिया शुरू कर देंगे। टाटा ग्रुप के अधिकारियों ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशंस अधिकारियों के साथ तकरीबन डेढ़ घंटे बातचीत की। सूत्र ने बताया कि वह इस बारे में अन्य डिपार्टमेंट्स को भी सूचित करेंगे।
एक बार प्रक्रिया शुरू होने पर इसे 60 दिन के भीतर पूरा किया जाएगा। टाटा टेलीसर्विसेस एक लिस्टेड कंपनी है और यह भारत में 19 सर्किल में परिचालन कर रही है। टाटा ग्रुप के 149 साल के इतिहास में बंद होने वाली यह पहली बड़ी यूनिट होगी। टाटा टेलीसर्विसेस की स्थापना 1996 में लैंडलाइन ऑपरेशन के साथ की गई थी। इसने 2002 में सीडीएमए ऑपरेशन लॉन्च किया था। इसके बाद 2008 में इसने जीएसएम तकनीक को अपनाया और एनटीटी डोकोमो से 14,000 करोड़ रुपए का निवेश हासिल किया। जापान की एनटीटी डोकोमो ने 2014 में इस ज्वाइंट वेंचर से बाहर निकलने का फैसला किया।