नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से हलकान टाटा मोटर्स ने शुक्रवार को बताया कि 30 जून 2020 को समाप्त तिमाही के दौरान उसकी संचयी शुद्ध हानि बढ़कर 8,443.98 करोड़ रुपए हो गई। कंपनी ने एक साल पहले की इसी तिमाही के दौरान 3,679.66 करोड़ रुपए का शुद्ध नुकसान दर्ज किया था। समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी की कुल परिचालन आय 31,983.06 करोड़ रुपए रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 61,466.99 करोड़ रुपए थी।
कंपनी ने बताया कि जून 2020 तिमाही के दौरान एकल आधार पर उसका शुद्ध नुकसान 2,154.24 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले जून तिमाही में 147.45 करोड़ रुपए रहा था। कंपनी ने बताया कि एकल आधार पर आलोच्य तिमाही के दौरान उसकी परिचालन आय 2,634.14 करोड़ रुपए रही, जो अप्रैल-जून 2019 तिमाही के दौरान 13,250.19 करोड़ रुपए रही थी। टाटा मोटर्स के सीईओ और एमडी गुंटेर बुश्चेक ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऑटो उद्योग पर गहरा असर डाला है। मई के मध्य में सभी संयंत्रों में सीमित रूप से काम शुरू हो पाया। हमने धीमे-धीमे अपनी क्षमता को बढ़ाया है। इस दौरान कर्मचारियों और तमाम स्तरों पर सभी के स्वास्थ्य और बेहतरी का ध्यान रखा गया।
आईओसीएल का पहली तिमाही शुद्ध लाभ 47 प्रतिशत घटकर 1,910.84 करोड़ रुपए
देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) का चालू वित वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ 47 प्रतिशत घट गया। कोविड-19 महामारी की वजह से कंपनी की ईंधन मांग घटने के साथ ही रिफाइनिंग मार्जिन भी घटा है, जिसकी वजह से कंपनी का मुनाफा नीचे आया है। कंपनी के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा कि तिमाही के दौरान उसका एकल शुद्ध लाभ 46.8 प्रतिशत घटकर 1,910.84 करोड़ रुपए यानी 2.08 रुपए प्रति शेयर रहा। जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 3,596.11 करोड़ रुपए यानी 3.92 रुपए प्रति शेयर रहा था।
उन्होंने कहा कि भंडार में रखे माल पर नुकसान शुद्ध लाभ में गिरावट की मुख्य वजह रहा। उन्होंने कहा कि कंपनी को पहली तिमाही में भंडार में रखे माल पर 3,196 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जबकि साल भर पहले इस मद में 2,362 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। भंडार में रखे माल पर नुकसान तब होता है जब कोई कंपनी कच्ची सामग्री (आईओसीएल के मामले में कच्चा तेल) एक दाम पर खरीदती है और जब वह उससे उत्पाद (आईओसी के मामले में पेट्रोल, डीजल आदि) तैयार कर बाजार में लाती है, तब उसकी कीमतें गिर जाती हैं। इससे जो नुकसान होता है, उसे भंडार पर हुआ नुकसान कहते हैं। इसका विपरीत कम दाम पर खरीद और उत्पाद बिक्री के समय ऊंचे दाम मिलने पर भंडार पर लाभ होता है।
वैद्य ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कच्चे तेल का औसत भाव 29.6 बैरल प्रति डॉलर रहा। यह पिछले साल की इसी तिमाही में 68.9 डॉलर प्रति बैरल और मार्च तिमाही में 50.1 डॉलर प्रति बैरल रहा था। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने मांग को प्रभावित किया और परिशोधन संयंत्र पूरी क्षमता पर काम नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि महामारी अभी भी फैल रही है, ऐसे में हम निकट भविष्य में सामान्य स्थिति में नहीं लौटने वाले हैं। पहली तिमाही में ज्यादातर समय कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में बीता। इस दौरान वाहनों की आवाजाही पर अंकुश था। इससे तिमाही के दौरान आईओसी की ईंधन बिक्री 29 प्रतिशत घटकर 1.52 करोड़ टन रही।
तिमाही के दौरान कंपनी की रिफाइनरियों ने 25 प्रतिशत कम यानी 1.29 करोड़ टन कच्चे तेल का प्रसंस्करण किया। तिमाही के दौरान प्रत्येक एक बैरल कच्चे तेल के प्रसंस्करण पर 1.98 डॉलर का घाटा हुआ। वहीं 2019- 20 में उसे पहली तिमाही में 4.69 डॉलर प्रति बैरल का सकल रिफाइनिंग मार्जिन हासिल हुआ था। वैद्य ने कहा कि आलोच्य तिमाही के दौरान पेट्रोल की मांग 36 प्रतिशत गिरकर 20 लाख टन पर आ गई। इसी तरह डीजल की बिक्री 35 प्रतिशत गिरकर 65 लाख टन रही। विमानन ईंधन एटीएफ की मांग में 79 प्रतिशत की जोरदार गिरावट दर्ज की गई और यह 2.4 लाख टन रह गई।