नई दिल्ली। टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच पुरानी लड़ाई खत्म होने से पहले ही एक नई जंग शुरू हो गई है। साइरस मिस्त्री के परिवार ने टाटा संस को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से बदलकर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने की योजना का विरोध किया है। टाटा संस, टाटा समूह की प्रमुख कंपनियों की प्रवर्तक है। मिस्त्री को पिछले साल टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था।
टाटा संस के शेयरधारकों को 21 सितंबर को होने वाली सालाना आम बैठक से पहले दिए नोटिस में कंपनी के निदेशक मंडल ने बदलाव के लिए कंपनी के संविधान (आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन) में संशोधन को लेकर विशेष प्रस्ताव के जरिये मंजूरी मांगी है। साथ ही टाटा संस लिमिटेड से नाम बदलकर टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड करने के बारे में उसके गठन से संबंधित नियम एवं शर्तें (मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन) में संशोधन की मांग की गई है।
इस बारे में पूछे जाने पर टाटा संस के प्रवक्ता ने कहा, टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में परिवर्तित करने पर निदेशक मंडल ने विचार किया जिसे उसने कंपनी के हित में पाया। टाटा संस के अनुसार प्रस्तावित बदलाव का कारण मुख्यत: टाटा संस के पब्लिक कंपनी माने जाने के तौर पर कंपनी कानून 2013 के तहत सांविधिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं होना है। हालांकि, इस कदम का मिस्त्री परिवार ने विरोध किया है। मिस्त्री की टाटा संस में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि टाटा ट्रस्ट की 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
टाटा संस के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने अल्पांश शेयरधारकों को बहुसंख्यक शेयरधारकों द्वारा दबाने की एक और कार्रवाई बताया। पत्र में आरोप लगाया गया है, प्रस्तावित एजीएम बुलाने का वास्तविक मकसद दुर्भावनापूर्ण है और टाटा संस के हित में नहीं है।
मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने को लेकर मिस्त्री परिवार का साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में टाटा संस के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। टाटा संस के प्रवक्ता ने मिस्त्री की तरफ से लगाए गए आरोप पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया।