नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने के कार्यक्रम को पिछली सरकारों ने गंभीरता से नहीं लिया जबकि इससे पेट्रोलियम आयात में बड़ी बचत हो सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इस जैवईंधन का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है और यह चार साल में तीन गुना बढ़ कर 450 करोड़ लीटर के स्तर पर पहुंच जाएगा। इससे आयात में 12,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। मोदी यहां विश्व जैवईंधन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम वाजपेयी सरकार के समय शुरू किया गया था। लेकिन पिछली सरकारों ने एथेनॉल कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया। अब हम अगले चार साल में 450 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन करेंगे जो इस समय 141 करोड़ लीटर है। इससे आयात में 12,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।’’ गौरतलब है कि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए भारत को 80 प्रतिशत खनिज तेल आयात करना पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर परियोजनाओं को पर्यावरण विभाग की मंजूरी के काम में तेजी लाने के लिए तैयार किए गए वेब पोर्टल ‘‘परिवेश’’ का उद्घाटन किया।
मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति का अनावरण भी किया। भारत नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के साथ-साथ जैवईंधन के उत्पादन पर भी बल दे रहा है ताकि कच्चे तेल के आयात पर होने वाले मोटे खर्च को कम किया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कर जैवईंधन की 12 रिफायनरी स्थापित करने की योजना बनायी गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करेगी और इसे बढाकर 2030 तक 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।
मोदी ने कहा कि इसमें से प्रत्येक रिफायनरी 1000-1500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैवईंधन का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आय बढ़ेगी और देश में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश में 175 गैस-सीएनजी संयंत्र लगाए जा चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोग सड़कों पर जल्दी ही इस ईंधन से चलने वाले वाहन दौड़ते देखेंगे। इस अवसर पर उन्होंने देश में किसानों की आय बढ़ाने की अपनी सरकार की पहलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का 1.5 गुना तय किया है।