नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत को 5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य केवल एक पड़ाव है, हमारा लक्ष्य से इससे भी बड़ा और ऊंचा है। उन्होंने कहा कि आज जब हम एक नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, नए दशक में प्रवेश कर रहे हैं, तो मुझे ये कहने में कोई हिचक नहीं कि ये दशक भारतीय उद्यमियों का होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि ये जरूरी नहीं की जो कंपनी सफल न हो रही हो, उसके पीछे कोई साजिश ही हो, कोई लालच ही हो। देश में ऐसे उद्यमियों के लिए एक रास्ता तैयार करना आवश्यक था और आईबीसी ने इसी का आधार तय किया है।
देश के लोगों का सही सामर्थ्य तभी सामने आ सकता है, जब सरकार, इंडिया, इंडियन और इंडस्ट्रीज के आगे बाधा बनकर नहीं, बल्कि उनका साथी बनकर खड़ी रहे। बीते वर्षों में देश ने यही मार्ग अपनाया है।
भारतीय उद्योग, एक पारदर्शी माहौल में भय के बिना, बाधा के बिना, आगे बढ़े, देश के लिए संपत्ति का सृजन करे, खुद के लिए संपत्ति का सृजन करे, यही हम सभी का प्रयास रहा है और आगे भी बना रहेगा।
मोदी ने कहा कि ये निरंतर कोशिश की गई है कि भारतीय उद्योग जगत को कानूनों के जाल से मुक्ति मिले। कुछ कर गुजरने की ये भावना, जोखिम उठाने की ये भावना, नए-नए क्षेत्रों में अपना विस्तार करने की ये भावना, आज भी हर भारतीय उद्यमी की पहचान है। भारत का उद्यमी अधीर है देश के विकास के लिए, अपनी क्षमताओं और सफलताओं के विस्तार के लिए।
मोदी ने कहा कि हमारे टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता आए, दक्षता आए, जिम्मेदारी बढ़े, करदाता और कर विभाग के बीच मानव इंटरफेस समाप्त हो, इसके लिए एक नई व्यवस्था का निर्माण किया जा रहा है। आज देश में कॉरपोरेट टैक्स की दर जितनी कम है, उतनी पहले कभी नहीं थी।
पिछले पांच सालों में, देश में निष्ठा के साथ काम करने का, पूरी ईमानदारी के साथ काम करने का, पूरी पारदर्शिता के साथ काम करने का एक माहौल बना है। इस माहौल ने देश को बड़े लक्ष्य तय करने, और तय समय पर प्राप्त करने का हौसला दिया है। बीते कुछ वर्षों में देश में एक और बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। ये परिवर्तन आया है युवा उद्यमियों की संख्या में। आज देश के युवा उद्यमी, नए विचारों, नए बिजनेस मॉडल्स लेकर सामने आ रहे हैं।
श्रम संहिता को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित श्रम संहिता से मजदूरों और उद्योगपतियों दोनों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि आज देश में कॉरपोरेट कर की दरें सबसे कम हैं ताकि कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। मोदी ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में यूपीआई के जरिये करीब नौ लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ। इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक ही यह आंकड़ा 15 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।