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कोरोना के ख़िलाफ नया 'रामबाण', स्वामी रामदेव ने लॉन्च की WHO सर्टिफाइड दवा

पतंजलि रिसर्च की ये दवा WHO सर्टिफाइड है। जिसे आयुर्वेद के बरसों पुराने अनुभव और कोरोना पर महीनों की रिसर्च के बाद तैयार किया गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 19, 2021 13:48 IST
Ramdev - India TV Paisa

Ramdev 

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत इस समय जंग के बीच योग गुरू स्वामी रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित एक नई कोरोना की दवा को पेश कर दिया है। खास बात यह है कि इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सर्टिफाइड किया है। पतंजलि का दावा है कि कोरोना की ये दवा CoPP- WHO-GMP मानकों पर तैयार की गई है। इस दवा को 158 देशों के लिए वरदान माना जा रहा है। आज एक खास कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने इस रिसर्च बेस्ड दवा को लॉन्च किया। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मौजूद रहे।

स्वामी रामदेव इससे पहले जून 2020 में कोरोनिल भी लॉन्च कर चुके हैं। जो कोरोना से बचाव में इम्युनिटी बूस्टर की तरह इस्तेमाल हो रही है। इस मौके पर स्वामी रामदेव ने कहा पतंजलि ने सैंकड़ों रिसर्च पेपर अभी तक पब्लिश किए हैं। वैज्ञानिक तथ्यों के साथ हमने पूरी दुनिया के सामने रखा है। स्थापित तथ्यों के उलट हमने डायबिटिक के रोगियों को गैर डायबिटिक करके कोरोना जैसी महामारी के ऊपर भी एक प्रामाणिक कार्य किया है। कोरोनिल के बारे में 9 रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं। हमने कोरोनिल स्वासारी और अणु तेल से लाखों लोगों ने फायदा उठाया लेकिन कुछ लोगों ने सवाल उठाए। शक के सारे बादल हमने छांट दिए हैं, कोरोनिल से लेकर अलग अलग बीमारियों पर जो पतंजलि ने शोध किया है।

कंपनी ने दावा किया कि यह कोविड-19 का मुकाबला करने वाली पहली साक्ष्य-आधारित दवा है। पतंजलि ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में यहां आयोजित एक कार्यक्रम में इस दवा की पेशकश की थी। पतंजलि ने एक बयान में कहा, ‘‘कोरोनिल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के आयुष खंड से फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (सीओपीपी) का प्रमाण पत्र मिला है।’’ 

सीओपीपी के तहत कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है। इस बारे में स्वामी रामदेव ने कहा कि कोरोनिल प्राकृतिक चिकित्सा के आधार पर सस्ते इलाज के रूप में मानवता की मदद करेगी। आयुष मंत्रालय ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कोरोनिल टैबलेट को ‘‘कोविड-19 में सहायक उपाय’’ के रूप में मान्यता दी है। 

पतंजलि ने आयुर्वेद आधारित कोरोनिल को पिछले साल 23 जून को पेश किया था, जब महामारी अपने चरम पर थी। हालांकि, इसे गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि इसके पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी थी। इसके बाद आयुष मंत्रालय ने इसे सिर्फ ‘‘प्रतिरक्षा-वर्धक’’ के रूप में मान्यता दी। कोरोनिल का विकास पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है।

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