तेहरान। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को दो दिन की यात्रा पर ईरान पहुंचीं। उनकी यात्रा का मकसद इस शक्तिशाली इस्लामिक देश से तेल आयात बढ़ाने के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत बनाना है। विदेश मंत्री की यात्रा ऐसे समय हो रही है जब ईरान ने अपने ऊपर लगे प्रतिबंध हटने के बाद तेल एवं गैस समेत विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त उद्यम के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया है। उसके बाद से जापान, चीन, अमेरिका तथा कई यूरोपीय देश समेत वैश्विक आर्थिक शक्तियां संसाधनों से मालामाल इस देश में निवेश के लिये पहल कर रही हैं।
सुषमा का मेहराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ईरान के विदेश मंत्रालय में महानिदेशक (दक्षिण एशिया) रसूल इस्लामी और भारतीय राजदूत सौरभ कुमार ने स्वागत किया। विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्विटर पर लिखा कि सुषमा स्वराज ईरान पहुंच गई हैं। भारत की ईरान के साथ मजबूत उर्जा संबंधों पर नजर है और वह वहां तेल एवं गैस के साथ पेट्रो रसायन एवं उर्वरक क्षेत्रों में 20 अरब डॉलर के निवेश की तैयारी में है। सुषमा की इस यात्रा को भारत के एक संतुलित कदम के रूप में भी देखा जा रहा है क्योंकि दो सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की यात्रा की थी। सऊदी अरब पश्चिम एशिया का एक और ताकतवर देश है और ईरान को अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है।
भारत की उर्जा सुरक्षा के साथ-साथ तेल एवं गैस से मालामाल मध्य एशियाई देशों में पहुंच के लिए ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है। भारत, ईरान से 1.2 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात करता है और इस देश से तेल आयात और बढ़ाने पर गौर कर रहा है। अपनी यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जरीफ से कल बातचीत करेंगी। बातचीत के दौरान उर्जा, व्यापार और बैंक क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की जाएगी। विदेश मंत्री ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी मुलाकात करेंगी। सूत्रों ने कहा कि सुषमा की यात्रा के दौरान दोनों पक्ष बैंक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावना पर गौर करने के साथ चाबहार बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे। इस परियोजना में भारत एक प्रमुख सहयोगी है।