नई दिल्ली। अनुचित व्यापार व्यवहार और आयात में लगातार बढ़ोतरी के चलते घरेलू स्टेनलेस स्टील उद्योग पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कईं देशों के स्टेनलेस स्टील निर्यातक कुछ भारतीय आयातकों के साथ मिलकर भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के प्रावधानों का दुरुपयोग कर रहे हैं। इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (इसडा) ने इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम जैसे आसियन देशों के निर्यातकों द्वारा एफटीए के तहत शुल्कदर का फायदा उठाने के लिए बड़े पैमाने पर ग़लत जानकारी मुहैया कराने के मामले में भारत सरकार का ध्यान आकर्षित किया है।
चीन के उत्पादकों द्वारा इंडोनेशिया में लगातार क्षमता विस्तार के कारण, इंडोनेशिया से भारत में स्टेनलेस स्टील आयात भारी अनुपात में बढ़ा है। वित्त वर्ष 2017-18 में जहां यह सालाना तौर पर 8,000 टन था, वह 2018-19 में बढ़कर 67,000 टन (वार्षिक आधार) हो गया। इससे भारत का घरेलु उद्योग संकट की कगार पर है।
इसडा के अध्यक्ष केके पहूजा ने कहा कि गलत जानकारी पेश करने की व्यवस्था को शुरुआत में ही दूर करने की जरूरत है। सरकार द्वारा आयातित स्टेनलेस स्टील उत्पाद को अनुमति देने के संबंध में बैंक गारंटी के तौर पर अस्थाई शुल्क लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि सरकारी राजस्व सुरक्षित रहे। इसके साथ सरकार को अनुचित तरीके अपनाने वाले आयातकों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए, क्योंकि इनसे न सिर्फ सरकारी खजाने को बल्कि घरेलू उद्योग को भी नुकसान पहुंचता है।
पहूजा ने कहा कि चीन की कंपनियों को निवेश के लिए अपनी सरकार से सब्सिडी मिल रही है, जो विदेशी बाज़ारों में विस्तार के लिए दी जाती है। उन्हें इंडोनेशियाई सरकार से भी भारी पैमाने पर सब्सिडी मिलती है ताकि ज़्यादा निवेश आकर्षित किया जा सके। इंडोनेशिया में घरेलू मांग की कमी के कारण अतिरिक्त उत्पादन भारत जैसे वृद्धिपरक बाजार में बड़े पैमाने पर डंप किया जा रहा है।
सरकार से एक अपील में इसडा ने आग्रह किया है कि इंडोनेशिया से स्टेनलेस स्टील के फ्लैट उत्पादों के आयात पर एडीडी/सीवीडी लगाई जाए ताकि चीन से आसियान एफटीए के जरिये हो रहे आयात का मुकाबला किया जा सके।