नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने निर्यातकों को बैंक कर्ज में कमी का मुद्दा वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष उठाया है। जेटली को लिखे पत्र में प्रभु ने कहा है कि निर्यातकों को दिये जाने वाले कर्ज को बैंकों का प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र का कर्ज समझा जाए। पत्र में प्रभु ने कहा है कि निर्यात ऋण में भारी गिरावट से निर्यातक और एमएसएमई इकाइयां प्रभावित हो रही हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि इस साल 22 जून तक बकाया निर्यात ऋण 22,300 करोड़ रुपये पर आ गया है जो पिछले साल 23 जून तक 39,000 करोड़ रुपये था।
इसी तरह बकाया निर्यात ऋण जो 30 मार्च तक 28,300 करोड़ रुपये था इस साल 22 जून को घटकर 22,300 करोड़ रुपये पर आ गया। चालू वित्त वर्ष में इसमें 21.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। प्रभु ने वित्त मंत्री से निर्यात ऋण को बैंकों के प्राथमिकता प्राप्त कर्ज की क्षेणी में शामिल करने का आग्रह किया है।
निर्यातकों के संगठन फियो का कहना है कि क्षेत्र के लिए सीमा का नवीकरण भी समस्या बन गया है। ऐसी कंपनियों के लिए भी यह समस्या बना हुआ है जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है। देश का निर्यात कारोबार 2011- 12 से अब तक 300 अरब डालर के आसपास बना हुआ है। वर्ष 2017- 18 में यह इससे आगे निकलकर 303 अरब डालर तक पहुंच गया था।