नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) से उसकी देशभर में चल रही आवासीय परियोजनाओं का पूरा ब्यौरा देने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने कंपनी के निदेशकों को उनकी व्यक्तिगत संपत्तियां नहीं बेचने के आदेश को दोहराया है। मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने न्याय मित्र पवन श्री अग्रवाल को भी निर्देश दिया है कि वह जेएएल कंपनी से घर खरीदने वाले ग्राहकों की शिकायतों को दर्ज करने के लिये एक पोर्टल स्थापित करें। पीठ में न्यायमूर्ति ए.एम. खनविल्कर और डी.वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जेपी को जल्द से जल्द 125 करोड़ रुपये जमा करवाने का निर्देश भी दिया है। यह भी कहा गया कि अगर जेपी पैसे देने में विफल होता है तो इसे कोर्ट की अवमानना समझा जाएगा, जिसके लिए उससे जुड़े लोगों को तिहाड़ भी भेजा जा सकता है।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार के आग्रह पर भी गौर किया। उन्होंने कहा कि जेएएल के स्वतंत्र निदेशकों को उनकी बड़ी उम्र के मद्देनजर मामले में रोजाना होने वाली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट दी जानी चाहिये। रंजीत कुमार कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों के वकील हैं। पीठ ने स्वतंत्र निदेशकों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट देते हुये अपने पहले के आदेश को दोहराया। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी पूर्वानुमति के बिना कोई भी निदेशक देश से बाहर नहीं जायेगा और न ही वह अपनी संपत्ति को बचेंगे अथवा उसमें किसी भी तीसरे पक्ष को शामिल करेंगे। न्यायालय ने कहा कि उसके लिये घर खरीदने वालों का हित सर्वोपरि है और जेएएल को पहले के आदेश के अनुरूप धन जमा कराना होगा।
जेएएल की तरफ से पैरवी करने के लिये न्यायालय पहुंचे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अनुपम लाल दास ने कहा कि कंपनी ने अपनी कई संपत्तियों को बेचा है और वह कर्ज पुनर्गठन के काम में लगी है। उन्होंने कहा कि जेएएल न्यायालय के आदेश के मुताबिक 25 जनवरी तक 125 करोड़ रुपये जमा करायेगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल कंपनी की विभिन्न परियोजनाओं में घर खरीदने वालों के हित की सुरक्षा के लिये पिछले साल 15 दिसंबर को यह आदेश दिया था। जेएएल ने अब तक शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 425 करोड़ रुपये जमा करा दिये हैं।