नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का पूरा बकाया ब्याज और जुर्माने के साथ ही देना होगा। केंद्र सरकार द्वारा टेलीकॉम कंपनियों को बकाया भुगतान के लिए 20 साल का वक्त देने वाली याचिका पर दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी और उसमें तय किया जाएगा कि कंपनियों को 20 साल का वक्त दिया जाएगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा एजीआर पर स्व-मूल्याकंन या स्व-गणना पर भी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कंपनियों को स्व-मूल्याकंन की अनुमति किसने दी। दूरसंचार विभाग की मांग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सत्यापित किया गया है तो इस पर सवाल कैसे उठ सकता है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि यह कोर्ट की प्रतिष्ठा पर सवाल है, क्या कंपनियों को यह लगता है कि वह धरती पर सबसे शक्तिशाली हैं? उन्होंने कहा कि कंपनियों ने स्व-मूल्याकंन के लिए क्या अदालत से अनुमति ली थी, इसके लिए उन पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि दूरसंचार कंपनियां एजीआर बकाया का स्व-मूल्यांकन या पुनः मूल्यांकन नहीं करेंगी, अन्यथा उन पर अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया जाएगा। कोर्ट ने यह ीाी कहा कि वह दूरसंचार कंपनियों के एमडी के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करेगा, अगर उन्होंने एजीआर बकाए को लेकर अदालत के बारे में फर्जी खबर प्रसारित करवाईं।
कोर्ट ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने एजीआर बकाया का स्व-मूल्यांकन करने के नाम पर गंभीर धोखा किया है। एजीआर बकाया पर हमारा फैसला अंतिम है, इसका पूरी तरह से पालन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूरसंचार मामले में सुनवाई के दौरान एजीआर बकाया पर समाचार पत्रों के लेख अदालत को प्रभावित नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उसने एजीआर बकाया अदा करने के लिए दूरसंचार कंपनियों को 20 साल का समय देने का अनुरोध किया था। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। जस्टिस मिश्रा ने प्रिंट मीडिया को भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा मीडिया ग़लत खबरें छाप रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत तरीक़े से पब्लिश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम अख़बारों के ख़िलाफ़ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाएंगे।