नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनियों से समायोजित एकल राजस्व (एजीआर) वसूली प्रक्रिया सुस्त होने पर शीर्ष अदालत ने नाराजनी जाहिर की है। उच्चतम न्यायालय ने एजीआर के बकाये का भुगतान करने के आदेश का अनुपालन न करने पर दूरसंचार कंपनियों को शुक्रवार को जमकर फटकार लगाई। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार एवं अन्य कंपनियों के निदेशकों, प्रबंध निदेशकों से पूछा कि एजीआर बकाये के भुगतान के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने को लेकर उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी के उस आदेश पर अफसोस जताया, जिससे एजीआर मामले में दिये गये फैसले के अनुपालन पर रोक लगी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हमने एजीआर मामले में समीक्षा याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी एक भी पैसा जमा नहीं किया गया।
टेलीकॉम कंपनियों से 92,000 करोड़ रुपए रिकवर करने के सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का पालन न होने पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने नाराजगी जताई है। जस्टिस मिश्रा ने टेलिकॉम कंपनियों और सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकद्दमा चलाने की धमकी दी। जस्टिस शाह ने कहा कि एक डेस्क ऑफिसर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर स्टे कैसे लगा सकता है। उस डेस्क ऑफिसर पर कोई कारवाई क्यों नहीं की गई? उस डेस्क ऑफिसर को यहां बुलाया जाए।
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इस देश में क्या हो रहा है? क्या सुप्रीम कोर्ट की कोई वेल्यू नहीं है। इन कम्पनियों ने एक रुपया भी नहीं चुकाया है और आपके अधिकारी के पास इतनी हिम्मत कि वो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर स्टे लगा दे। सुप्रीम कोर्ट ने एयरटेल, वोडाफोन समेत कई टेलीकॉम कम्पनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
एजीआर मामले में आदेश पर अमल नहीं होने पर न्यायालय ने कहा, बेहतर है कि इस देश में न रहा जाए और देश छोड़ दिया जाए। अपने आदेश का अनुपालन न होने पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि देश में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, इससे हमारी अंतरआत्मा हिल गयी है।
जानिए किस टेलीकॉम कंपनी को कितना बकाया देना है | |
भारती एयरटेल | 21,682.13 करोड़ रुपए |
वोडाफोन-आइडिया | 19,823.71 करोड़ रुपए |
रिलायंस कम्युनिकेशंस | 16,456.47 करोड़ रुपए |
बीएसएनएल | 2,098.72 करोड़ रुपए |
एमटीएनएल | 2,537.48 करोड़ रुपए |
दूरसंचार विभाग एयरटेल, वोडा-आइडिया समेत तमाम एजीआर बकाया रखने वाली कंपनियों से वसूली की तैयारी कर रहा है। जल्द ही इन कंपनियों को एजीआर चुकाने के लिए पत्र भेजा जा सकता है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपिनयों को 24 जनवरी तक 1.47 लाख करोड़ रुपए का एजीआर भुगतान करने का आदेश दिया था। टेलीकॉम कंपनियों ने एजीआर वैधानिक बकाये का भुगतान करने के लिए दो साल की रोक के साथ 10 साल का समय देने की मांग की थी।
गौरतलब है कि रिलायंस जियो ने 31 जनवरी 2020 तक एजीआर से जुड़े सभी बकाया भुगतान के लिए दूरसंचार विभाग को 195 करोड़ रुपये दिया। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्तूबर 2019 को अपने फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के एजीआर में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कानून के अनुसार ही है।
फिर से बढ़ सकते हैं टैरिफ प्लान के दाम!
एजीआर वसूलने की प्रक्रिया शुरू होने से दूरसंचार कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। लिहाजा जिसका सीधा असर मोबाइल फोन पर बात करने पर पड़ेगा और टैरिफ प्लान फिर से महंगे हो सकता हैं। दूरसंचार विशेषज्ञों का कहना है कि एजीआर का भुगतान करने के लिए मोबाइल कंपनियां रिचार्ज शुल्क में 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है। यह दो महीने के अंदर दूसरी बढ़ोतरी हो सकती है। 1 दिसंबर, 2019 से कंपनियों ने अपने बिल में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की थी। साथ ही कई तरह के छूट को भी खत्म किए थे। अगर कंपनियां टैरिफ बाउचर में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करती हैं तो इससे उन्हें अगले 3 सालों में 35 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद जताई जा रही है।