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कोर्ट का समय बर्बाद करना पड़ा भारी, तीन कंपनियों पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने तीन फर्मों पर अदालत का समय बर्बाद करने के लिए 25-25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। ये कंपनियां हैं जीजीएल, एमजीजी और रूइया।

Dharmender Chaudhary
Published : April 20, 2016 10:15 IST
कोर्ट का समय बर्बाद करना पड़ा भारी, तीन कंपनियों पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना
कोर्ट का समय बर्बाद करना पड़ा भारी, तीन कंपनियों पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जर्मनी की एक कंपनी सहित तीन फर्मों पर अदालत का समय बर्बाद करने के लिए 25-25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। ये कंपनियां अपने अनुबंधों के जरिए उत्पन्न विवादों को लेकर कानूनी संघर्ष में उलझी हुई हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह विवेकहीन मुकदमों और धन की ताकत के जरिए न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का सीधा मामला है। न्यायालय ने कहा, हमें यह उचित लगता है कि इन कंपनियों पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना लगाकर उदाहरण पेश किया जाना चाहिए। ये कंपनियां हैं जीजीएल, एमजीजी और रूइया।

न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति ए एम सपरे की पीठ ने कहा, यह राशि देश की अदालत का समय खराब करने के लिए राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण को मुआवजे के रूप में दी जाएगी। प्राधिकरण इस राशि का इस्तेमाल गरीबों के मुकदमों में वित्तीय मदद के लिए कर सकता है। जिन कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें जर्मनी की कंपनी मेसर ग्राइशैम जीएमबीएच (एमजीजी) और भारतीय कंपनियां गोयल गैसेस (जीजीएल) तथा बांबे ऑक्सीजन कॉरपोरेशन लि. शामिल हैं।

यह मामला जर्मनी की कंपनी एमजीजी द्वारा जीजीएल के शेयरधारकों के साथ शेयर खरीद और सहयोग करार करने से संबंधित है। बाद में एमजीजी ने इसी तरह का करार बीओसीएल के साथ भी किया। जीजीएल ने इस कदम का विरोध किया। इन कंपनियों के बीच कानूनी लड़ाई पिछले करीब दो दशक से शीर्ष अदालत सहित विभिन्न न्यायालयों में चल रही है। पीठ ने कहा कि इस मुकदमेबाजी का नतीजा यह है कि पिछले 18 माह से यह जारी है। इसमें देश की अदालतों का काफी समय बर्बाद हुआ है। इस मुकदमेबाजी में किसी भी पक्ष का रवैया ठीक नहीं है।

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