नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोराटोरियम की अवधि को बढ़ाकर 28 सितंबर तक कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि इस मामले को सिर्फ एकबार के लिए टाला जा रहा है। लोन मोराटोरियम की अवधि पहले 31 अगस्त को खत्म हो रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब उसे बढ़ाकर 28 सितंबर तक कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को करेगी। आरबीआई ने मार्च में लोन मोराटोरियम 3 महीने के लिए शुरू किया था, जिसे बाद में और तीन महीने बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद यह 28 सितंबर तक जारी रहेगा।
जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने लोन मोराटोरियम और ब्याज छूट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि सभी लोग अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तब तक 31 अगस्त तक एनपीए ना हुए लोन डिफॉल्टरों को एनपीए घोषित ना करने अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते यानी 28 सितंबर तक का समय दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है। राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और चिंताओं की जांच की जा रही है। केंद्र ने दो हफ्ते का समय मांगा था इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि दो हफ्ते में क्या होने वाला है? आपको विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस करना होगा। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की तीन जजों की बेंच सुनवाई की।
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक किसी भी लोन को एनपीए नहीं घोषित करने के निर्देश दिए थे। बता दें कि केंद्र सरकार ने ब्याज पर ब्याज माफी का विरोध किया है। सरकार का कहना है कि ब्याज माफी दी जाती है तो इससे बैंक कमजोर होंगे। आरबीआई ने कर्ज पर 6 महीने का लोन मोराटोरियम दिया था। लॉकडाउन के चलते 6 महीने का लोन मोराटोरियम मिला था। सरकार के मुताबिक लोन मोराटोरियम पीरियड 2 साल तक बढ़ सकती है। इस पर एक्सपर्ट कमिटी भी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है।
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि इस फैसले से लोन लेने वालों पर दोहरी मार पड़ रही है, क्योंकि उनसे चक्रवृद्धि ब्याज लिया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह योजना दोगुनी मार है, क्योंकि वे हमें चक्रवृद्धि ब्याज चार्ज किया जा रहा है। ब्याज पर ब्याज वसूलने के लिए बैंक इसे डिफॉल्ट मान रहे हैं। यह हमारी ओर से डिफॉल्ट नहीं है। सभी सेक्टर बैठ गए हैं, लेकिन आरबीआई चाहता है कि बैंक कोविड-19 के दौरान मुनाफा कमाएं।