नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन को टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DOT) के पास 200 करोड़ रुपए जमा कराने का निर्देश दिया है। इससे कंपनी के लिए 4 यूनिट्स को एक साथ मिलाने का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने कहा कि जब कंपनी यह पैसा जमा करा देगी, तब टेलीकॉम डिपार्टमेंट उसे मर्जर लाइसेंस इश्यू करेगा। वोडाफोन ने 2012 में अपने 4 यूनिट्स को मिलाने के प्रोसेस को शुरू किया था, लेकिन टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर से बकाया पैसा जमा कराने को लेकर हुए विवाद से अटक गया था।
पैसे जमा करना के बाद मिलेगी मंजूरी
जस्टिस जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कंपनी द्वारा इस राशि का भुगतान किए जाने पर केन्द्र सरकार इस विलय को मंजूरी दे देगी। कोर्ट ने टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ सरकार की अपील पर यह आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने चार यूनिट्स के लाइसेंस का तदर्थ आधार पर विलय की अनुमति दे दी थी। हालांकि, उसका भी कहना था कि इस मामले में लोअर कोर्ट जो भी रकम तय करेगा, कंपनी को देना होगा। वोडाफोन ने 12 फरवरी को लेटर लिख मर्जर प्रोसेस को आगे बढ़ाने के लिए 1773 करोड़ रुपए जमा करने का प्रस्ताव रखा।
मर्जर के लिए 6678 करोड़ का करना है भुगतान
वोडाफोन इंडिया की योजना वोडाफोन ईस्ट, वोडाफोन सेल्युलर, वोडाफोन साउथ और वोडाफोन डिजिलिंग का वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज लि में विलय करने की है। सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कहा कि वोडाफोन को इस विलय को मंजूरी के लिए विभिन्न मदों में सरकार को 6678 करोड रुपए का भुगतान करना है। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रावधान के तहत वोडाफोन को विलय से पहले सारी देनदारियों का भुगतान करना है।