नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाजार नियामक संस्था सेबी से सहारा ग्रुप की प्रॉपर्टी बेचने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है, ताकि लाखों निवेशकों को उनका 30,000 करोड़ रुपया लौटाया जा सके। सहारा ग्रुप के पास विदेशों में तीन बड़े होटल समेत देश में बहुत सारी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी है। छोटे निवेशकों को बांड की बिक्री कर जुटाए गए धन को वापस करने के कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर सुब्रत रॉय सहारा को मार्च 2014 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। सहारा ने अधिकारियों को 86 प्रॉपर्टी की लिस्ट सौंपी है, जिनकी कीमत 40,000 करोड़ रुपए होने का दावा किया गया है। हालांकि, सहारा ग्रुप का दावा है कि वह इन प्रॉपर्टी के लिए खरीदार नहीं खोज पाया है। कोर्ट ने इसके बाद सेबी को उक्त संपत्ति बेचने की अनुमति दी है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से कहा है कि सहारा की प्रॉपर्टी के लिए यदि संबंधित क्षेत्र के सर्किल रेट के 90 फीसदी से कम की बोली मिलती है तो उसकी बिक्री न की जाए। यदि सेबी प्रॉपर्टी की बिक्री संबंधित क्षेत्र के सर्किल रेट के 90 फीसदी से कम पर करना चाहता है तो इसके लिए उसे पहले कोर्ट से अनुमति लेनी होगी।
कोर्ट ने कहा कि प्रॉपर्टी बिक्री से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल सहारा प्रमुख सुब्रह रॉय की जमानत के लिए किया जाएगा। सुब्रत रॉय पिछले दो साल से जेल में बंद हैं और वह जमानत के लिए जरूरी 10 हजार करोड़ रुपए जुटाने में असफल रहे हैं। जमानत के लिए पांच हजार करोड़ नकद और पांच हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी देनी है। सहारा ग्रुप ने पांच हजार करोड़ रुपए नकद तो जमा कर दिए हैं, लेकिन उसे पांच हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जुटाने में मुश्किलें आ रही हैं। सहारा के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि दुनिया में इस तरह का मामला कहीं भी देखने को नहीं मिला है। दुनिया में ऐसा कोई भी कानून नहीं है जो किसी व्यक्ति को बिना किसी दोष के दो साल से जेल में बंद रखने की अनुमति देता हो। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि हमें उपदेश न दें। दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो कहे कि उसके पास 1.87 लाख करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है और बावजूद इसके वह अपना बकाया भुगतान न करे।