नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जर्मनी की लग्जरी कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज बेंज इंडिया को कोर्ट रजिस्ट्री में 10 लाख रुपए जमा कराने का आदेश दिया है। यह आदेश उस मामले से जुड़ा है जिसमें मर्सिडीज बेंज की एक कार 2006 में एक कंटेनर ट्रक से टकरागई थी और उस समय उसके एयरबैग नहीं खुले थे। इस कार में इलेक्ट्रिक कंपनी क्रॉम्प्टन ग्रीव्ज के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर एम त्रेहान सवार थे। वह इस कार से नासिक से मुंबई जा रहे थे।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए एम खानविलकर व डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के 11 सितंबर को दिए निर्देशानुसार कंपनी उक्त राशि कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करवाए। मर्सीडीज बेंज इंडिया ने आयोग के उक्त आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले में एक पक्ष इलेक्ट्रिक्ल कंपनी क्रॉम्प्टन ग्रीव्ज से भी जवाब मांगा है।
मर्सिडीज बेंज की ओर से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि एनसीडीआरसी यह आदेश नहीं दे सकती क्योंकि इस कार को कॉमर्शियल उद्देश्य के लिए खरीदा गया था और कंपनी इस मामले में एक उपभोक्ता के रूप में इस पर दावा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि एनसीडीआरसी द्वारा विवादित निर्णय दिया गया है और उन्होंने इस आदेश को निरस्त करने की मांग की।
क्रॉम्प्टन ग्रीव्ज की ओर से वकील अमीर जेड सिंह ने कहा कि इस मामले पर पहले ही फैसला आ चुका था और सुप्रीम कोर्ट ने उसे सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि कार को मैनेजिंग डायरेक्टर के व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदा गया था और कभी-कभार इसका उपयोग कार्यालय उद्देश्य के लिए किया जाता था। मुख्य उपभोक्ता आयोग ने 11 सितंबर को मर्सिडीज बेंज इंडिया और उसके आधिकारिक डिस्ट्रीब्यूटर डैमलर क्रिसलर इंडिया को मर्सिडीज कार के मालिक को 10 लाख रुपए देने का आदेश दिया था। आयोग ने मर्सिडीज बेंज को अनुचित व्यापार व्यवाहर का दोषी माना था।