नई दिल्ली। देश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया चालू चीनी सत्र में घटकर 6,225 करोड़ रुपए रह गया है। चीनी सत्र 2014-15 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया अप्रैल में 21,000 करोड़ रुपए के स्तर को छू गया था, क्योंकि विगत पांच वर्षो में चीनी के अत्यधिक उत्पादन के कारण चीनी की कीमतें कमजोर थीं।
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीनी सत्र 2014-15 के लिए गन्ना का मूल्य बकाया घटकर अब 6,225 करोड़ रुपए रह गया है। आज की तारीख के अनुसार सत्र के लिए करीब 87 फीसदी गन्ना बकाये का भुगतान कर दिया गया है। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह बकाया 19,347 करोड़ रुपए था। कुल 6,225 करोड़ रुपए के गन्ना कीमत बकाये में से सर्वाधिक बकाया उत्तर प्रदेश का 2,428 करोड़ रुपए का है, जिसके बाद कर्नाटक का 1,325 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र का 883 करोड़ रुपए का बकाया है।
पिछले एक वर्ष में सरकार ने चीनी मिलों की नकदी समस्या में सुधार लाने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि वे गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान खत्म करने की स्थिति में हों। सरकार ने गन्ने के बकाए का भुगतान करने के लिए चीनी मिलों को आसान ब्याज दर वाले ऋण प्रदान किए थे। सरकार ने चीनी के आयात शुल्क को भी बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया और गन्ना कीमतों की लागत के प्रभाव को कम करने के लिए कच्ची चीनी पर निर्यात सब्सिडी और चीनी मिलों को उत्पादन सब्सिडी भी प्रदान की। सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम को भी प्रोत्साहित किया। भारत का चीनी उत्पादन 2015-16 के सत्र में 2.5 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो उत्पादन पिछले वर्ष में 2.83 करोड़ टन का हुआ था।
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