नई दिल्ली। भारत का चीनी उत्पादन (Sugar production) चालू विपणन वर्ष 2020-21 में 15 दिसंबर तक 61 प्रतिशत वृद्धि के साथ 73.77 लाख टन रहा। चालू विपणन वर्ष, अक्टूबर में शुरू हुआ था। गन्ने के अधिक उत्पादन का होना तथा महाराष्ट्र में चीनी मिलों द्वारा जल्दी पेराई शुरु करने से चीनी उत्पादन का स्तर इस साल ऊंचा है।
निजी मिलों के मंच भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एक बयान से कहा कि चीनी मिलों ने विपणन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में 15 दिसंबर तक 73.77 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो उत्पादन पिछले वर्ष के समान अवधि में 45.81 लाख टन का हुआ था। उत्तर प्रदेश में उत्पादन पिछले साल इसी समय के 21.25 लाख टन के मुकाबले 22.60 लाख टन हो गया है। महाराष्ट्र में उत्पादन 7.66 लाख टन की तुलना में 26.96 लाख टन है।
इस्मा ने कहा कि इस अधिक उत्पादन का कारण यह है कि महाराष्ट्र में पेराई का काम जल्दी शुरू किया गया तथा चालू सत्र में गन्ना की अधिक मात्रा में उपलब्ध है। कर्नाटक में चीनी का उत्पादन पहले के 10.62 लाख टन की तुलना में 16.65 लाख टन तक पहुंच गया है। इस्मा ने व्यापार और बाजार सूत्रों के हवाले से कहा कि अक्टूबर से अब तक लगभग 2.5-3 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। यह निर्यात वर्ष 2019-20 के कोटे के तहत माना जाएगा क्योंकि पिछले वर्ष की निर्यात नीति का विस्तार दिसंबर 2020 तक किया गया है।
इस्मा ने कहा कि चीनी मिलों ने वर्ष 2019-20 के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य पूरी तरह से हासिल कर लिया है। इसने कहा है कि अब, जैसा कि सरकार द्वारा चीनी निर्यात कार्यक्रम की घोषणा की गई है, चीनी उद्योग से पिछले साल की तरह ही अपना प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद है और वह इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे आयातक देशों की मांग को देखते हुए 60 लाख टन चीनी निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने के बारे में आश्वस्त है।
सरकार ने बुधवार को गन्ना किसानों को बकाया राशि का भुगतान करने में मदद करने के लिए चीनी मिलों को चालू विपणन वर्ष 2020-21 में 60 लाख टन चीनी निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी है। संघ ने कहा कि यह चीनी के एमएसपी (न्यूनतम बिक्री मूल्य) में वृद्धि पर सरकार के फैसले का भी इंतजार कर रहा है, जिसे लगभग दो साल पहले संशोधित किया गया था। इसने कहा कि चीनी के एमएसपी को बढ़ाकर 34.50 रुपये प्रति किलोग्राम करने की आवश्यकता है।