नई दिल्ली। सितंबर को समाप्त होने वाले चालू मार्केटिंग सीजन के पहले आठ महीनों में भारत का चीनी उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़कर 305.68 लाख टन हो गया। व्यापार आंकड़ों के अनुसार, इस वृद्धि का मुख्य कारण महाराष्ट्र में अधिक उत्पादन का होना है। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से लेकर सितंबर तक का होता है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एक बयान में कहा, ‘‘देशभर की चीनी मिलों ने एक अक्टूबर, 2020 से 31 मई, 2021 के बीच 305.68 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।’’ एक साल पहले इसी अवधि में चीनी का उत्पादन 270.05 लाख टन का हुआ था। इस साल 31 मई तक केवल सात चीनी मिलें मुख्य रूप से दो राज्यों उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में गन्ने की पेराई कर रही थीं। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 110.16 लाख टन रहा, जो एक साल पहले इसी अवधि में 125.46 लाख टन था।
महाराष्ट्र में पेराई सत्र समाप्त हो गया है। राज्य में चीनी का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के 61.69 लाख टन की तुलना में बढ़कर 106.28 लाख टन हो गया। कर्नाटक में चीनी का उत्पादन 33.80 लाख टन से बढ़कर 41.67 लाख टन हो गया। बंदरगाह की जानकारी और बाजार की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी मिलों ने सरकार द्वारा निर्धारित 60 लाख टन कोटा के मुकाबले निर्यात के लिए लगभग 58 लाख टन चीनी का अनुबंध किया है। इस्मा ने कहा, ‘‘यह भी अनुमान है कि जनवरी, 2021 से मई, 2021 के दौरान लगभग 44-45 लाख टन चीनी का देश से निर्यात किया गया है।’’ इसके अलावा चीनी उद्योग ने पिछले सत्र 2019-20 के निर्यात कोटे के मुकाबले अक्टूबर-दिसंबर 2020 तिमाही में 4.48 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
हाल ही में, सरकार ने मौजूदा वैश्विक बाजार परिदृश्य का हवाला देते हुए, विपणन वर्ष 2020-21 के लिए चीनी के निर्यात में अपनी सहायता को 6,000 रुपये से घटाकर 4,000 रुपये प्रति टन कर दिया था। इस्मा ने कहा कि चीनी मिलें अपनी नकदी की स्थिति को मजबूत करने के लिए मुक्त सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत और बिना किसी सरकारी सब्सिडी के चीनी का निर्यात कर रही हैं।
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