नई दिल्ली। ब्राजील के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश, भारत में चीनी का उत्पादन अक्टूबर 2020 से शुरु होने वाले नये चीनी सत्र के दौरान 17.69 प्रतिशत बढ़कर तीन करोड़ 20 लाख टन होने की उम्मीद है। उद्योग संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीजन में पेराई के लिए अधिक गन्ना उपलब्ध होगा जिससे उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। एक बयान में कहा गया है कि चालू 2019-20 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में देश का चीनी उत्पादन अब तक दो करोड़ 70 लाख टन तक पहुंच गया है। सत्र के अंत तक लगभग 1,50,000 टन चीनी का उत्पादन और होने की उम्मीद है जिसे मिलाकर चालू सत्र में कुल चीनी उत्पादन 2.72 करोड़ टन होने की उम्मीद है।
चीनी की मांग और कीमतों के बारे में उद्योग निकाय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ‘लॉकडाऊन’ के नियमों में ढील दिये जाने के बाद माल का उठाव सामान्य स्तर पर पहुंच गया है। लॉकडाउन के दौरान चीनी की घरेलू बिक्री में गिरावट के कारण चीनी की एक्स-मिल कीमतें 31 से 31.50 रुपये प्रति किलो के स्तर तक नीचे चली गई थी। लेकिन अब यह कीमत पर्याप्त सुधार के साथ लॉकडाउन से पहले के स्तर के करीब यानी 32-33.50 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।
इस्मा ने अपने प्रारंभिक अनुमान में कहा कि चीनी मिलों के पास कुल गन्ना उपलब्धता को देखते हुये वर्ष 2020-21 के सत्र में 3.20 करोड़ टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है। यह अनुमान शेष अवधि के दौरान सामान्य बारिश और अन्य परिस्थितियों के सामान्य रहने पर आधारित है। इस्मा के अनुसार, देश में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य, उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन, चालू सत्र के एक करोड़ 26 लाख टन से मामूली गिरावट के साथ 1.23 करोड़ टन रहने का अनुमान है। लेकिन देश में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन बढ़कर वर्ष 2020-21 में 1.01 करोड़ टन हो जाने की उम्मीद है।