नई दिल्ली। घरेलू चीनी मिलों से बीते पखवाड़े में चीनी का उठाव घटा है। भारतीय चीनी मिलों के संगठन इस्मा के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी संकट ने ना सिर्फ चीनी के उठाव बल्कि चीनी की वैश्विक कीमतों को भी अस्थायी तौर पर प्रभावित किया है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के चलते बीते पखवाड़े में चीनी मिलों से चीनी का उठाव घटा है।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार चीनी के उठाव में जल्द सुधार होने की उम्मीद है क्योंकि इस दौरान थोक और खुदरा बाजार में उपलब्ध चीनी लगभग पूरी तरह बिकने की संभावना है। इसलिए इसका उठाव बढ़ना चाहिए, जिससे चीनी मिलों को मदद हो सके और चीनी की कीमतें भी नियंत्रण में आनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति के चलते वैश्विक स्तर पर चीनी कीमतें प्रभावित हुई हैं। हालांकि यह स्थिति अस्थायी हो सकती है। इस्मा ने चीनी मिलों के उत्पादन के आंकड़े भी जारी किए हैं। घरेलू चीनी मिलों का उत्पादन 15 मार्च 2020 तक घटकर 215.82 लाख टन रहा। जबकि 15 मार्च 2019 तक यह 273.65 लाख टन था।
चीनी वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक पिछले उत्पादन में योग करने वाली मिलों की संख्या 70 कम है। पिछले साल इस समय तक 527 चीनी मिलों में पेराई हुई थी। इस साल 457 मिलों ने पेराई की। इस बार 15 मार्च तक 136 चीनी मिलों में पेराई रोकी जा चुकी थी और 321 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी। पिछले साल इस समय तक 173 मिलें पेराई रोक चुकी थीं और 354 मिलों ने काम जारी रखा था।
उत्तर प्रदेश में काम जारी रखने वाली 119 चीनी मिलों का चीनी उत्पादन 15 मार्च 2020 तक 87.16 लाख टन रहा। पिछले साल इसी अवधि में 117 मिलों ने 15 मार्च 2019 तक 84.14 लाख टन चीनी उत्पादित की थी। महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 15 मार्च तक पिछले साल के 100.
08 लाख टन से घटकर 55.85 लाख टन रहा। राज्य में 56 मिलें गन्ने की पेराई बंद कर चुकी हैं और मात्र 90 मिलें ही परिचालन में हैं। जबकि पिछले चीनी वर्ष में इस अवधि तक 101 मिलें बंद हो चुकी थीं और 94 परिचालन में थीं।
रिपोर्ट के अनुसार 15 मार्च 2020 तक चीनी मिलों ने 60 लाख टन के निर्यात कोटे में से 30 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। इस्मा ने कहा कि थाईलैंड का चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 50 लाख टन तक घटा है। वहीं इंडोनेशियाई सरकार के ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड और भारत से छूट प्राप्त दरों पर चीनी आयात को अनुमति देने से भारत के लिए निर्यात बढ़ाने का एक बड़ा अवसर भी पैदा हुआ है।