नई दिल्ली। कोविड-19 की वजह से लागू सार्वजनिक पाबंदियों या लॉकडाउन नियमों में ढील दिए जाने के बाद चीनी की मांग सुधरेगी। भारतीय चीनी मिल संघ यानि इस्मा का कहना है कि देश में चीनी की मांग में सुधार शुरू हो गया है और होटलों-रेस्त्रताओं के खुलने के बाद मांग और सुधरेगी। सरकार ने राष्ट्रव्यापी बंद को 30 जून तक बढ़ा दिया है। इसके अलावा अनलॉक भारत योजना की घोषणा की है जिसके तहत मॉल्स, होटलों, रेस्तराओं तथा धार्मिक स्थलों को धीरे धीरे खोला जाएगा। हालांकि कोविड-19 मामलों के चलते नियंत्रण वाले क्षेत्रों में अभी इस तरह कोई छूट नहीं होगी।
इस्मा ने मंगलवार को बयान में कहा कि मई की शुरआत से लॉकडाउन नियमों में ढील के बाद से चीनी की मांग में सुधार हुआ है। बयान में कहा गया है, ‘‘अब जबकि देश ‘अनलॉक’ के चरण में हैं और मॉल्स तथा रेस्तरांओं को खोलने की अनुमति दी गई है, जून में चीनी की मांग और बढ़ेगी।’’ इस्मा ने कहा कि गर्मियों की मांग के अलावा उम्मीद है कि चीनी मिलें न केवल अपना पूरा जून का कोटा बेच पाएंगी, बल्कि वे मई के बचे कोटा को भी बेच सकेंगी। सरकार ने मिलों को मई में 17 लाख टन और जून में 18.50 लाख टन चीनी बेचने की अनुमति दी है। मई के कोटा को बेचने के लिए एक माह का समय और दिया गया है। इस्मा ने कहा कि चीनी मिलें अप्रैल में एक साल पहले की समान अवधि के बराबर चीनी बेच पाई हैं। इसकी वजह है कि फरवरी के अंत में चीनी मिलों ने 10 लाख टन की अतिरिक्त बिक्री की थी। बयान में कहा गया है कि उत्तर भारत की मिलें मई में अपने मासिक कोटा को बेचने में सफल रही हैं। लेकिन पश्चिम और दक्षिण भारत की मिलें के पास शायद कुछ मासिक कोटा बचा है। इस्मा ने कहा कि मांग बढ़ रही है। सितंबर में समाप्त होने वाले 2019-20 के चीनी वर्ष में चीनी की बिक्री संभवत: पिछले साल की तुलना में पांच लाख टन कम रहेगी।
उत्पादन के बारे में इस्मा ने कहा कि 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के सत्र में पहले आठ माह में चीनी का उत्पादन 2.68 करोड़ टन रहा है। हालांकि, यह पिछले साल की समान अवधि के 3.27 करोड़ टन के मुकाबले कम है। हालांकि, उद्योग संगठन का मानना है कि इस सत्र में चीनी का कुल उत्पादन 2.7 करोड़ टन पर पहुंच सकता है, जो उसके पहले के 2.65 करोड़ टन के अनुमान से अधिक है।