नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के यह भरोसा दिलाने पर कि ट्रांस्पोर्टर्स की मांगों पर विचार किया जाएगा इसके बाद ऑल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट कांग्रेस ने देशव्यापी हड़ताल को खत्म कर दिया। ऐसे में सवाल यह है कि अगर सरकार को ट्रांस्पोटर्स की मांगों पर विचार करना ही था तो इसके लिए 5 दिनों का इंतजार क्यों? इन पांच दिनों में हुए करीब 57,500 करोड़ रुपए के नुकसान का जिम्मेदार कौन? इन पांच दिनों तक देश भर में करीब 85 लाख ट्रकों के चक्के जाम रहे।
बनी समिति, 15 दिसंबर तक आएगी रिपोर्ट
नितिन गडकरी ने बताया कि परिवहन सचिव विजय छिब्बर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जो कि ट्रक ऑपरेटरों की मांगों पर विचार के बाद 15 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इस समिति में ट्रक ऑपरेटरों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। ट्रांसपोर्टरों की सभी मांगों और उनको आने वाली सभी दिक्कतों का यह समिति अध्ययन करेगी।
पांच दिन, 50,000 करोड़ स्वाहा
ट्रक मालिकों की हड़ताल एक अक्टूबर को शुरू हुई थी, जो पांच अक्टूबर तक चली। AIMTC का दावा है कि इन पांच दिनों में ट्रक चालकों को 7,500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जबकि सरकार को इससे 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो सकता है। हड़ताल की वजह से देश के विभिन्न भागों में वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुई, सो अलग। इससे आम आदमी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
70 फीसदी ढुलाई ट्रकों पर निर्भर
देश में कुल ट्रांसपोर्टेशन में 70 फीसदी हिस्से की ढुलाई ट्रकों द्वारा की जाती है। केवल 30 फीसदी माल की ढुलाई रेल मार्ग से होती है। इसमें भी ट्रकों की मदद ली जाती है। ट्रक हड़ताल होने से देश के दूरस्थ इलाकों में फल-सब्जी, दूध और अन्य आवश्यक सामग्री की कमी पैदा हो जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक टोल प्रणाली नहीं है व्यावहारिक
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष भीम बाधवा ने मुताबिक ट्रक मालिक सरकार द्वारा समस्या का समाधान पेश करने तक अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि वह टोल के खिलाफ नहीं है, बल्कि वह इसे सालाना स्वरूप देने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने जो इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली का वादा किया था वह व्यावहारिक नहीं है।
सरकार पड़ी नरम
सरकार पहले इस साल दिसंबर तक सभी 325 टोल प्लाजा को इलेक्ट्रॉनिक करने के फैसले पर अड़ी थी। लेनिक ट्रांसपोर्टर्स के बढ़ते आंदोलन को देखते हुए सरकार नरम पड़ी और अब उसने ट्रांसपोर्टर्स की सभी मांगों पर फिर से विचार करने के की बात कही है। इससे पहले केंद्रीय सड़क व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि टोल संग्रह प्रणाली वापस नहीं ली जा सकती है। सरकार टोल प्रणाली खत्म नहीं करेगी।
क्या चाहते हैं ट्रांस्पोर्टर्स
AIMTC मौजूदा टोल प्रणाली खत्म करने की मांग कर रही है। संगठन का कहना है कि यह उत्पीड़न का जरिया है और इसकी जगह उसने एकमुश्त कर भुगतान और टीडीएस प्रक्रिया को आसान बनाने की मांग की है। सरकार की ई-टोलिंग परियोजना असफल अवधारणा है और आईसीआईसीआई तथा एक्सिस जैसे भागीदार बैंकों ने भी इस परियोजना से अपने-आपको दूर कर लिया है।
इस हड़ताल का जिम्मेदार कौन? पढ़िए-