नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) ने आरंभिक र्सावजनिक निर्गम (IPO) के जरिये जुटाए गए धन के किसी भी प्रकार के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
मौजूदा नियमों के तहत इस प्रकार की निगरानी एजेंसी उन्हीं कंपनियों को नियुक्त करने की आवश्यकता थी, जिन्होंने सार्वजनिक निर्गम के जरिये 500 करोड़ रुपए से अधिक जुटाया है। ये निगरानी एजेंसियां बैंक या सार्वजनिक वित्तीय संस्थान हो सकते हैं।
इसके अलावा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़े गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को पात्र संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) के लिए आरक्षित कोटा के लिए पात्रता की अनुमति दे दी है। इसके साथ उन्हें बैंकों तथा बीमा कंपनियों के समरूप लाया गया है। इससे आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार को मजबूती मिलने की उम्मीद है। इस संदर्भ में सेबी के निदेशक मंडल ने प्रस्तावों को अप्रैल में मंजूरी दी थी।