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Lockdown की रणनीति नहीं थी सही, इस साल GDP को हो सकता है 20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में यह गिरावट 12 से 15 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4 से 5 प्रतिशत रह सकती है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 07, 2020 8:19 IST
Strategy for lockdown was not right, GDP may lose Rs 20 lakh crore this year- India TV Paisa
Photo:TIMES OF INDIA

Strategy for lockdown was not right, GDP may lose Rs 20 lakh crore this year

नई दिल्‍ली। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश में लागू किए गए राष्‍ट्रव्‍यापी लॉकडाउन की रणनीति एकदम सही नहीं थी। इस वजह से इस साल सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में 20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। यह कहना है कि पूर्व वित्‍त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का। गर्ग ने कहा कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस महामारी का प्रसार शुरू में धीमा जरूर पड़ा लेकिन अर्थव्यवस्था को इससे कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है। गर्ग का मानना है कि आर्थिक हालात चौथी तिमाही (जनवरी—मार्च 2021) तक ही सामान्य हो सकेंगे, तब तक देश के जीडीपी को कोविड-19 और उससे उत्‍पन्‍न होने वाले प्रभावों से कुल 10-11 प्रतिशत यानी करीब 20 लाख करोड़ रुपए की क्षति हो चुकी होगी।

पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर सुझाव दिया कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज में सुधार कर इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा सूक्ष्म और छोटे उद्यमों तक पहुंचाने तथा बेरोजगार हुए मजदूरों की विशेष सहायता करने में किया जाना चाहिए। साथ ही बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाए जाने की रणनीति पर भी काम करने की जरूरत है।

गर्ग ने कहा कि जब लॉकडाउन लगाया गया उस समय देश में वायरस की शुरुआत ही हो रही थी। लॉकडाउन से उस समय इसका प्रसार धीमा हुआ, ज्यादा तेजी से नहीं फैला, लेकिन इस दौरान देश की स्थिति को देखते हुए अर्थव्यवस्था को नुकसान ज्यादा हुआ है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद वायरस फैलने की गति बढ़ी है। पर बेहतर होता कि अर्थव्यवस्था से समझौता किए बिना महामारी पर अंकुश लगाने के प्रयास किए जाते।

पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था का आकार 10 से 11 प्रतिशत तक कम हो सकता है। पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में यह गिरावट 12 से 15 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4 से 5 प्रतिशत रह सकती है। चौथी तिमाही में कहीं जाकर स्थिति सामान्य हो सकती है। कुल मिलाकर 2020- 21 में जीडीपी 10 से 11 प्रतिशत तक कम रह सकती है। यानी आंकड़ों में बात करें तो इसमें 20 लाख करोड़ रुपए की कमी आएगी।

जीडीपी में गिरावट आने का मतलब है सबकी आय में कमी। आमदनी घटने से खर्च कम होता है और आर्थिक गतिविधियों का नुकसान होता है। वर्ष 2020- 21 के बजट पत्रों में इससे पिछले वित्त वर्ष (2019-20) में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2,04,42,233 करोड़ रुपए रहने का संशोधित अनुमान लगाया गया है। गर्ग ने कहा कि लॉकडाउन से सूक्ष्म, लघु उद्योगों को बड़ा झटका लगा है। कुल मिलाकर 7.5 करोड़ के करीब सूक्ष्म, लघु, मझोले उद्यम (एमएसएमई) हैं। उनकी मदद की जानी चाहिए। आत्मनिर्भर भारत के तहत जो योजनायेंएं पेश की गईं हैं उनका लाभ 40- 45 लाख को ही मिल पा रहा है। एमएसएमई में एक बड़ा वर्ग है जो अभी भी अछूता है सरकार को उन्हें सीधे अनुदान देना चाहिए।

गर्ग ने कहा कि दूसरा वर्ग 10- 12 करोड़ के करीब कामगारों का है जिनके पास कोई काम नहीं रहा, उनका रोजगार नहीं रहा, उनकी मदद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रणनीति के तीसरे हिस्से के तहत- सरकार को समग्र अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न ढांचागत क्षेत्रों में पूंजी व्यय बढ़ाना चाहिए। कई क्षेत्रों में नीतिगत समस्याएं आड़े आ रही हैं उन्हें दूर किया जाना चाहिए।

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