कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक इस सेगमेंट की भारत के टोटल फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) मार्केट में तकरीबन 22 फीसदी हिस्सेदारी है। लगातार दो साल कमजोर मानसून की वजह से खरीदारों को विवेकाधीन खर्च पर मजबूर होना पड़ा, जिसकी वजह से भारत की टॉप कंज्यूमर गुड्स कंपनियों को स्लोडाउन का सामना करना पड़ा।
यूरोमोनिटर की मई में आई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक डियोडोरेंट्स, क्रीम, साबुन, टूथपेस्ट और कॉस्मेटिक्स की सेल्स ग्रोथ को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स पर उपभोक्ता खर्च घटा है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश कंपनियों ने डिमांड बढ़ाने के लिए 2015 में प्रमोशन पर बहुत ज्यादा खर्च किया। यूरोमोनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक ओवरऑल ब्यूटी एंड पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स के प्रति जागरुकता और उपयोग बढ़ा है और इसका सबसे बड़ा कारण पूरे देश में ब्रांड के प्रमोशन पर बहुत अधिक खर्च है।
कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स को किफायती बनाने के लिए कीमतों को घटाया है और छोटे पैक साइज को लॉन्च किया है। मैरिको की चीफ एग्जीक्यूटिव सौगाता गुप्ता ने सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि हमनें मूल्य निर्धारण पर सक्रियता से कदम उठाया है। क्योंकि यहां स्लोडाउन है और किफायत प्रमुख मुद्दा बन गया है। मैरिको की कुल बिक्री में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पैराशूट नारियल तेल और सेट वेट ब्रांड की है।
हर्बल प्रोडक्ट्स की बढ़ रही है मांग
जबकि कंपनियां डिमांड में सुधार के मोर्चे पर संघर्ष कर रही हैं, वहीं इस बीच प्राकृतिक या हर्बल प्रोडक्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में हर्बल और केमिकल प्रोडक्ट्स के बीच मार्केट शेयर को लेकर युद्ध छिड़ा हुआ है। योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि ब्रांड के तहत आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स विभिन्न कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं, ऐसे में अन्य कंपनियों ने भी अब प्राकृतिक प्रोडक्ट्स पर फोकस करना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद की बढ़ते दबदबे से निपटने के लिए हिंदुस्तान यूनीलिवर, कोलगेट-पॉमोलिव इंडिया, डाबर इंडिया, ईमामी, मैरिको और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने भी अपने नेचूरल और हर्बल पोर्टफोलियो पर ध्यान पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ा दिया है।