नई दिल्ली। अगर आपसे पूछा जाए कि देश में पेट्रोल और डीजल की खपत किस राज्य में सबसे ज्यादा होती है? हो सकता है कि जनसंख्या का अंदाजा लगाकर जवाब में आप उत्तर प्रदेश का नाम लें। लेकिन ऐसा नहीं है, देश में पेट्रोल और डीजल की सबसे ज्यादा खपत सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि उन राज्यों में हो रही है जहां लोगों के पास पैसा ज्यादा है और ज्यादा उद्योग हैं।
इन राज्यों में होती है ज्यादा खपत
पेट्रोलियम मंत्रालय की संस्था पेट्रोलियम प्लानिंग एवं एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान देशभर में पेट्रोलियम उत्पादों की सबसे ज्यादा खपत महाराष्ट्र में हुई है, दूसरे नंबर पर गुजरात और तीसरा स्थान उत्तर प्रदेश का है। कुछ राज्य ऐसे हैं जिनमें जनसंख्या तो कम है लेकिन प्रति व्यक्ति आय ज्यादा होने और उद्योग ज्यादा होने की वजह से वहां पर पेट्रोल और डीजल की खपत ज्यादा है।
पेट्रोल और डीजल की खपत करने वाले टॉप 10 राज्य | |
राज्य | खपत (करोड़ टन) |
महाराष्ट्र | 1.93 |
गुजरात | 1.89 |
उत्तर प्रदेश | 1.59 |
तमिलनाडु | 1.32 |
कर्नाटक | 1.14 |
राजस्थान | 1.09 |
हरियाणा | 1.07 |
पश्चिम बंगाल | 0.75 |
मध्य प्रदेश | 0.69 |
आंध्र प्रदेश | 0.65 |
कम खपत वाले राज्य
इसी तरह पेट्रोल और डीजल की कम खपत वाले राज्य या केंद्र साशित प्रदेश भी हैं। PPAC के मुताबिक 2016-17 के दौरान देशभर में पेट्रोलियम उत्पादों की सबसे कम खपत लक्ष्यद्वीप में रही है, सालभर में इस केंद्र शासित प्रदेश में सिर्फ 13800 टन पेट्रोलियम उत्पादों की खपत दर्ज की गई है। इसके बाद सिक्कम में 1.04 लाख टन और मीजोरम में 1.17 लाख टन की खपत हुई है।
पेट्रोल और डीजल की सबसे कम खपत वाले 10 राज्य/केंद्र शासित | |
राज्य/केंद्र शासित | खपत (लाख टन) |
लक्ष्यद्वीप | 0.138 |
सिक्किम | 1.04 |
मिजोरम | 1.17 |
नागालैंड | 1.32 |
मणिपुर | 1.63 |
अंडमान | 1.86 |
त्रिपुरा | 2.14 |
दमन | 2.19 |
अरुणाचल प्रदेश | 2.24 |
चंडीगढ़ | 3.88 |
देश में लगातार बढ़ रही है ईंधन की खपत
भारत में ईंधन की खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। PPAC के आंकड़ों के मुताबिक 2008-09 के दौरान भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की सालाना खपत 12.41 करोड़ टन थी जो वित्त वर्ष 2016-17 में बढ़कर 17.12 करोड़ टन हो गई है, मौजूदा वित्त वर्ष 2018-17 में जनवरी तक देश में 16.91 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों की खपत हो चुकी है।